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चौकी धुलाई के साथ शनिवार को मोहर्रम के रसूमात (traditions)शुरू हो जाएंगे। हजरत इमाम हुसैन की चौकी धुलाई की रस्म अदा की जाएगी। इसी दिन मोहर्रम का चांद (muhurram moon) देखने के लिए हिलाल कमेटी की बैठक होगी। इस दौरान मोहर्रम का चांद नजर आया तो दरगाह क्षेत्र में बयान-ए- शहादत और मर्सियाख्वानी का दौर शुरू हो जाएगा। चांद नजर नहीं आया तो सोमवार को मोहर्रम की पहली तारीख होगी। चौकी के खिदमतगुजार हाजी मोहम्मद शब्बीर के अनुसार चौकी शरीफ (chowky sahrif) को शनिवार दोपहर इमामगाह लंगरखाना से झालरे तक ले जाया जाएगा। लंगरखाना में चौकी पर गरीब नवाज के मजार शरीफ (mazar sharif) का गिलाफ रखा जाएगा। इसी दिन चांदी के ताजिए शरीफ की जियारत भी कराई जाएगी।
चौकी धुलाई के साथ शनिवार को मोहर्रम के रसूमात (traditions)शुरू हो जाएंगे। हजरत इमाम हुसैन की चौकी धुलाई की रस्म अदा की जाएगी। इसी दिन मोहर्रम का चांद (muhurram moon) देखने के लिए हिलाल कमेटी की बैठक होगी। इस दौरान मोहर्रम का चांद नजर आया तो दरगाह क्षेत्र में बयान-ए- शहादत और मर्सियाख्वानी का दौर शुरू हो जाएगा। चांद नजर नहीं आया तो सोमवार को मोहर्रम की पहली तारीख होगी। चौकी के खिदमतगुजार हाजी मोहम्मद शब्बीर के अनुसार चौकी शरीफ (chowky sahrif) को शनिवार दोपहर इमामगाह लंगरखाना से झालरे तक ले जाया जाएगा। लंगरखाना में चौकी पर गरीब नवाज के मजार शरीफ (mazar sharif) का गिलाफ रखा जाएगा। इसी दिन चांदी के ताजिए शरीफ की जियारत भी कराई जाएगी।
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मोहर्रम के दौरान दरगाह स्थित बाबा फरीद (baba farid) का चिल्ला खोला जाएगा। परम्परानुरा चिल्ला साल में एक बार मोहर्रम की चार तारीख को खोला जाता है। इसकी जियारत के लिए देशभर से जायरीन (pilgrims) यहां पहुंचेंगे। यह चिल्ला 72 घंटे के लिए खोला जाता है।
मोहर्रम के दौरान दरगाह स्थित बाबा फरीद (baba farid) का चिल्ला खोला जाएगा। परम्परानुरा चिल्ला साल में एक बार मोहर्रम की चार तारीख को खोला जाता है। इसकी जियारत के लिए देशभर से जायरीन (pilgrims) यहां पहुंचेंगे। यह चिल्ला 72 घंटे के लिए खोला जाता है।
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मोहर्रम की 9 व 10 तारीख को दरगाह क्षेत्र स्थित अंदरकोट में तलवारों (swords)से हाईदौस (Hidaus) खेलने की परम्परा है। हाईदौस अजमेर के अलावा पाकिस्तान (pakistan) के लाहौर में खेला जाता है। इसके लिए दी पंचायत अंदरकोटियान को जिला प्रशासन से इजाजत लेनी पड़ती है।
मोहर्रम की 9 व 10 तारीख को दरगाह क्षेत्र स्थित अंदरकोट में तलवारों (swords)से हाईदौस (Hidaus) खेलने की परम्परा है। हाईदौस अजमेर के अलावा पाकिस्तान (pakistan) के लाहौर में खेला जाता है। इसके लिए दी पंचायत अंदरकोटियान को जिला प्रशासन से इजाजत लेनी पड़ती है।