इनका कहना है
आज के वर्तमान परिवेश में वे ही समाज जीवित रह पाते हैं, जिनमें लोग संगठित रहते हैं और समाज के लोगों पर होने वाले अत्याचार का कठोरता से मुकाबला करते हैं। ब्राह्मण समाज ने समाज हित में अनेक उल्लेखनीय कार्य किए हैं।डॉ. अम्बरीश पचौरी, वरिष्ठ पदाधिकारी, ब्राह्मण समाज, बाड़ी।
धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस पृथ्वी पर सात ऐसे देवी देवता वास कर रहे हैं, जो चिरंजीवी हैं और भगवान परशुराम उनमें से एक हैं। जिन्होंने अन्याय और अत्याचार के खिलाफ संघर्ष किया था। इसीलिए आज सर्व समाज के लोग भी उनकी पूजा अर्चना करते हैं। विष्णु महेरे, अध्यक्ष, अपना घर आश्रम बाड़ी।
अपने पिता के वचनों की खातिर अपनी मां रेणुका का वध करने वाले परशुराम का जन्म वैसाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था। आज पूरे देश में उनका जन्म दिन धूमधाम से मनाया जाता है और शोभायात्रा का आयोजन होता है। बाड़ी के ब्राह्मण समाज की प्रदेश में अलग पहचान है। अंजनी पाराशर, संयोजक, परशुराम शोभायात्रा कार्यक्रम।
भगवान भोले शंकर की कठोर तपस्या करने वाले भगवान परशुराम का नाम राम था और उन्हें तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान भोलेशंकर ने परशु धनुष दिया था। जिसके बाद उनका नाम परशुराम हुआ। आज इस बात की महती आवश्यकता है कि हमें समाज के असहाय व पीडि़त वर्ग की तन, मन, धन से मदद करनी चाहिए।दारासिंह पचौरी, वरिष्ठ पदाधिकारी, परशुराम शोभायात्रा कार्यक्रम
ब्राह्मण युवा में एकता बेहद ही आवश्यक है। शिक्षित होने के साथ-साथ उन्हें रोजगार परक भी बनना चाहिए।महेश अवस्थी, ब्राह्मण समाज बाड़ी। जयंती संगठन आदि सामाजिक कार्यक्रमों का लक्ष्य युवाओं के भविष्य को सुदृढ़ और सुरक्षित बनाना होना चाहिए। परशुराम जयंती के माध्यम से भी गणमान्य को इस ज्वलंत समस्या की ओर ध्यान देना आवश्यक है।संदीप बिधौलिया, वरिष्ठ पदाधिकारी, शोभायात्रा कार्यक्रम