सरकार ने केवल वाणिज्यिक तथा औद्योगिक उपभोक्ताओं के बिलों में लगवाला फिक्स चार्ज ३१ मई तक स्थगित किया है। बिल स्थगित नहीं किए थे। एेसे उपभोक्ताओं को बिजली कम्पनियों ने मार्च (30 दिन) का औसत बिल अप्रेल में जारी किया,जबकि 20 मार्च के बाद से लॉक डाउन लगा है। एेसे में उपभोक्ताओं को यदि यही बिल20 मार्च तक 20 दिन का औसत बिल जारी किया जाता तो यह बिल वास्तविक बिल के बराबर ही कम राशि का ही होता और उपभोक्ता को जमा करवाने में आसानी होती। निगम को 20 दिन का एवरेज लेना चाहिए था जबकि पूरे 30 दिन का औसत बिल जारी किया गया। एेसे में उपभोक्ताओं ने भी औसत बिल जमा नहीं करवाया और बिजली क म्पनियों के पास भी बिल का पूरा पैसा नहीं आया। अप्रेल में लॉक डाउन के कारण बिलिंग ही नहीं हुई।
एलपीएस का क्या औद्योगिक इकाइयों का कहना है कि निगम द्वारा जारी किया गया औसत बिल ड्यू डेट के बाद जमा करवाने पर २ प्रतिशत लेट पेमेंट सरचार्ज(एलपीएस) के रूप में पेनाल्टी भी देनी पड़ेगी। लेकिन जब निगम वास्तविक रीडिंग का बिल देगा जो औसत से कम होगा और बिल में बदलाव होता है तो हम पेनाल्टी क्यों भुगतें। एेसे में बिल पर वसूली गई पेनाल्टी की राशि भी माफ की जाए।
कृषि व घरेलू के बिल 31 तक स्थगित कृषि तथा घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं के जिनका मासिक उपभोग150यूनिट तक है। उनके बिल 31 मई तक केवल स्थगित किए गए हैं माफ नहीं। यदि यह उभोक्ता 31 मई से पूर्व निर्धारित ड्यू डेट (निर्धारित तिथि) तक बिल जमा करवाते हैं तो उन्हें आगामी बिल में 5 प्रतिशत की छूट दिए जाने का प्रावधान है।
एलपीएस लगा तो छूट सिर्फ 3 प्रतिशत ही बिल जारी होने के बाद उसे ड्यू डेट तक जमा करवाना होता है,उपभोक्ताओं की बिल जमा करवाने की ड्यू डेट अलग-अलग होती। यदि बिल मिलने के बाद भी उपभोक्ता इस गलतफहमी में है कि वह 31 मई तक बिल जमा करवा सकता और 5 प्रतिशत छूट का लाभ ले सकता है तो उपभोक्ता को एलपीएस के रूप में 2 प्रतिशत ब्याज देना पड़ेगा। एेसे में उसे आगामी बिल में छूट भी 5 के बजाय 3 प्रतिशत ही मिलेगी। यदि 31 मई के बाद जमा करवाया तो पेनाल्टी तो लगेगी ही छूट भी नहीं मिलेगी।
मैसेज के आधार पर एलपीएस लॉक डाउन कारण बिजली कम्पनियां बिल वितरण नहीं कर रही है। उपभोक्ताओं को औसत का बिल मोबाइल पर मैसेज के जरिए भेजे जा रहे हैं। एेसे में उपभोक्ता का मोबाइल नम्बर गलत होने के कारण अधिकतर को यह मैसेज भी नहीं मिल रहे हैं। मकान मालिक-दुकान मालिक की स्थिति में किराएदारों तक बिजल बिल का मैसेज नहीं पहुंच रहा है। इसके बावजूद मैसेज के आधार पर ही एलपीएस वसूला जा रहा है।
हमारी कार्यवाही नियमानुसार अजमेर डिस्कॉम के एमडी वी.एस.भाटी का कहना है कि बिल में फिक्सचार्ज माफ करना हमारे हाथ में नहीं है। यह आरईआरसी ही कर सकता है। उपभोक्ताओं के एलपीएस का निर्णय भी सरकार ही कर सकती है। हमने १ मई से रीडिंग लेने का काम शुरू कर दिया। पुराना बिल समायोजन कर नया बिल जारी कर दिया जाएगा। लॉक डाउन के कारण जिन फैक्ट्री में बंद थीं और रीडिंग नहीं हो सकी उन्हें ही औसत बिल दिए गए। निगम ने सभी आद्योगिक इकाइयों को ऑनलाइन बिल जमा करवाने की सुविधा दी। उपभोक्ता स्वयं भी सम्बन्धित सब डिवीजन के एईएन व एआरओ के वाट्सएप पर अपनी मीटर रीडिंग की फोटो भेज कर वास्तविक उपभोग का बिल प्राप्त कर सकता है। इसके लिए लिंक व एसएमएस नम्बर भी जारी किया गया है। समय पर बिल चुकाने पर नियमानुसार1 प्रतिशत की छूट भी दी जा रही है।
एेसे निकाला जाता है औसत
मीटर की रीडिंग नहीं होने से उपभोक्ता को औसत बिल जारी किया जाता है। इसके के लिए पिछले वर्ष इसी माह का उपभोग अथवा पिछले 6 माह का विद्युत उपभोग का औसत दोनो मे से जो भी अधिक हो वह उपभोक्ता से औसत बिल के रूप में चार्ज किया जाता है।