सुबह 8 बजे : खचाखच भरा दरगाह परिसर कुल की रस्म में शामिल होने के लिए जायरीन सुबह जल्द ही दरगाह पहुंचने लगे। इससे दरगाह परिसर खचाखच भर गया। वहीं आस-पास की गलियों में भी जायरीन का रैला नजर आया। इस कारण धक्का-मुक्की का आलम भी रहा। धक्का-मुक्की के बीच लोग एक-दूसरे से सट कर चलते नजर आए।
सुबह 9 बजे: खादिमों ने की दस्तारबंदी आस्ताना शरीफ सुबह 9बजे कुल की रस्म के लिए आम जायरीन के लिए बंद कर दिया गया। इसके बाद खादिम समुदाय के लोग ही आस्ताना में रहे। उन्होंने एक-दूसरे की दस्तारबंदी की और उर्स की मुबारकबाद दी। इस दौरान अंजुमन की ओर से कव्वालियों के साथ चादर पेश की गई और मुल्क में अमन-चैन की दुआ हुई।
सुबह 10.30 बजे : अंजुमन ने पेश की चादर अंजुमन की ओर से चादर का जुलूस निकाला गया। जुलूस अंजुमन कार्यालय से अहाता-नूर पहुंचा। वहां कव्वालियों पर सभी लोग झूम उठे। इसके बाद चादर पेश की गई।
सुबह 11 बजे : महफिल में गूंजा रंग और बधावा महफिलखाने में कुल की महफिल शुरू हुई। इसमें शाही चौकी के कव्वालों ने रंग और बधावा पढ़ा। ‘आज रंग है री मां, मेरे ख्वाजा के रंग है…और ख्वाजा ए ख्वाजगां मोईनुद्दीन… Ó जैसे कलामों पर लोग झूमने को मजबूर हो गए।
सुबह 11.30 बजे : फरियाद पढ़ी गई खादिमों की ओर से आस्ताना शरीफ में फरियाद पढ़ी गई। देश में अमन-चैन और खुशहाली के लिए दुआ की गई। दोपहर 1.15 बजे : कुल की रस्म, दागोल
दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन महफिलखाने से आस्ताना में गए। वहां कुल की रस्म हुई। इस दौरान कलंदर नाचते-गाते महफिलखाने पहुंच गए। उन्होंने दीवान की गद्दी पर बैठ कर दागोल की रस्म अदा की और हैरत अंगेज कारनामे दिखाए।
दोपहर 2 बजे : जन्नती दरवाजा बंद कुल की रस्म के बाद जन्नती दरवाजा बंद कर दिया गया। उर्स में जायरीन के लौटने का सिलसिला तेज हो गया। उर्स सम्पन्न होने के साथ ही आस्ताना में रोजाना होने वाली खिदमत का समय भी बदल गया है। खिदमत अब रोजाना दोपहर 3 बजे होगी।
11 फरवरी : बड़ा कुल और जुमा बड़े कुल की रस्म 11 फरवरी को होगी। इस दिन गुलाबजल और केवड़े से दरगाह के विभिन्न स्थानों की धुलाई की जाएगी। जुमे की नमाज अदा की जाएगी।