दरगाह दीवान ने कहा- अजमेर दरगाह को लेकर विवाद किया जा रहा है। जिस किताब को आधार बनाया गया है उसमें यह साफ-साफ लिखा है कि ऐसा कहा जाता है, ऐसा सुना जाता है। बाकी जो भी वादी को कहना है, वह कोर्ट में कह चुका है। हम कोर्ट में कानूनी तौर पर इसका जवाब देंगे। हमारे पास अधिवक्ताओं का पैनल भी है।
उन्होंने कहा- संभल मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है उसको लेकर कोर्ट को धन्यवाद देता हूं। मैं लोगों से अपील करता हूं कि हम शांति बनाए रखें और अपनी तरफ से ऐसा कुछ न करें जिससे विवाद पैदा हो। हमारे पास कानूनी अधिकार हैं, हमें कोर्ट जाना चाहिए और कोर्ट ने भी आज हमारी बात मान ली है।
दरगाह का इतिहास 800 साल पुराना
इससे पहले, दरगाह ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका को लेकर दीवान जैनुअल आबेदीन के पुत्र सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि दरगाह का इतिहास 800 साल पुराना है। सदियों पूर्व राजा-महाराजा, मुगल बादशाह आदि यहां आते रहे हैं। यह देश के साथ दुनिया को सौहार्द का संदेश दे रही है। अब इसमें शिव मंदिर होने को लेकर याचिका दायर की गई है। देश की प्रत्येक मस्जिद में मंदिर होने को लेकर लगातार दावे किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार को ऐसे दावे करने वाले कतिपय व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
कोर्ट ने स्वीकार की हिंदू पक्ष की याचिका
उल्लेखनीय है कि राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित विश्वप्रसिद्ध
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए हिंदू पक्ष ने अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम में याचिका दायर की। बुधवार 27 नवंबर को कोर्ट ने दरगाह में मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका को स्वीकार किया और इससे संबंधित अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस देकर पक्ष रखने को भी कहा है। इस मामले में कोर्ट 20 दिसंबर को अगली सुनवाई करेगी।