इसमें उन्हें बीघावार 30 हजार रुपए का खर्च हुआ, लेकिन आवक प्रति बीघा एक लाख रुपए हुई। इस तरह कुल साढ़े पांच लाख से अधिक की कमाई उन्होंने की। किसान भगवत पटेल ने बताया कि इस साल जाड़े में उन्होंने शिमला मिर्च खेती करने का फैसला किया। इससे पूर्व वे तंबाकू की खेती करते थे। सरकार ने लोगों से हानिकारक पदार्थ तंबाकू की खेती छोडऩे की अपील को ध्यान मेें रखते हुए उन्होंने ऐसा निर्णय किया। इसके बाद उन्होंने राज्य के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की देशी गाय आधारिक आर्गेनिक खेती के बारे में सुना।
उन्होंने इसके बाद इसी पद्धति से खेती का निर्णय करते हुए शिमला मिर्च की खेती शुरू की। अपनी आठ बीघा जमीन में उन्होंने ड्रीप पद्धति से सिंचाई की भी व्यवस्था की। खेत में रासायनिक खाद आदि का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं किया। कीटनाशक के तौर पर गोमूत्र से तैयार घोल का इस्तेमाल किया। किसान ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण मार्केट में अमूमन सभी सब्जियों के भाव में कमी आने से किसानों को आर्थिक नुकसान हुआ था। लेकिन इस बार उन्हें अच्छी आवक की आस थी। इसके लिए उन्होंने मिर्च की बुवाई कर रात्रि में जीव-जंतु से बचाव के लिए सोलर सिस्टम से खेत के बीच लाइट की व्यवस्था भी की। इसके साथ पानी का पात्र भरकर खेत में रखा गया जिससे जीव-जंतु पानी में बैठ जाते थे, न कि पौधे को नुकसान करते। इससे उनकी अच्छी फसल हुई। छोटे से बेचरी गांव का शिमला मिर्च राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र, हैदराबाद समेत गुजरात के अन्य जिलों में भेजा जाता है।