कोरोना से पहले रोजाना होती थी 5 से 6 लाख की आमद कोरोना से पहले सिलवासा के रेलवे आरक्षण केंद्र पर रोजाना 5 से 6 लाख की आमद होती थी, जो महज घटकर 50 से 60 हजार रह गई है। यहां औद्योगिक इकाइयों में कार्यरत श्रमिक वर्ग के लोग टिकटों की बुकिंग के लिए ज्यादा आते हैं। जिन क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा गड़बड़ रहती हैं वे लोग भी आरक्षण केंद्र से टिकट बुकिंग करा रहे हैं। जिले की ग्राम पंचायतों पर रेल टिकट बुकिंग आरम्भ होने से भी रेल आरक्षण कार्यालय की महत्ता घटी हैं वहीं दूसरी ओर कोरोना काल में कन्फर्म टिकट वालों को ही रेलवे स्टेशन पर प्रवेश मिलने से यात्री वेटिंग टिकट लेने से कतराने लगे हैं।
पहले आरक्षण विंडों से बड़ी संख्या में वेंटिंग टिकट बिकती थी, जो अब नहीं के बराबर हैं। विंडो पर आए एक यात्री ने बताया कि कोरोना काल में स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं, ज्यादातर में एक माह अग्रिम तक ही टिकट मिलते हैं। इन ट्रेनों में विंडों पर बुक कराई वेटिंग टिकट यदि कन्फर्म नहीं होती हैं तो ऐसी स्थिति में रद्दीकरण के लिए पुन: विंडों के चक्कर काटना पड़ता है। इस परेशानी से बचने के लिए विंडों पर ज्यादातर यात्री कन्फर्म या आरएसी के टिकट ही बुक कराने में भलाई समझते हैं।