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अहमदाबाद

आधे दिन समुद्र में और आधे दिन बाहर रहता है यह महादेव मंदिर

महाशिवरात्रि विशेष, निष्कलंक महादेव मंदिर, रोजाना होता है ‘समुद्राभिषेकÓ

अहमदाबादMar 01, 2022 / 12:49 am

Gyan Prakash Sharma

आधे दिन समुद्र में और आधे दिन बाहर रहता है यह महादेव मंदिर

आधे दिन समुद्र में और आधे दिन बाहर रहता है यह महादेव मंदिर

जयपुर. गुजरात के भावनगर से करीब 24 किलोमीटर दूर कोलियाक गांव के पास समुद्र तट पर स्थित निष्कलंक महादेव मंदिर के दर्शन करने के लिए गुजरात ही नहीं, अपितु देश के अनेक राज्यों से भक्त आते हैं। यह शिव मंदिर करीब आधे दिन समुद्र में और आधे दिन बाहर रहता है। समुद्र में लहरें उठती हैं तो इस शिवलिंग के दर्शन नहीं होते हैं, क्योंकि यह में डूब जाता है। यहां तिथि के अनुसार दर्शन करने का समय निर्धारित रहता है। इस शिवलिंग पर समुद्र के पानी से रोजाना जलाभिषेक होता है।
हुआ पांडवों का कलंक दूर
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद पांचों पांडवों को अहसास हुआ कि उनके सिर पर कलंक है। श्रीकृष्ण ने एक काले रंग की ध्वजा पांडवों दी और कहा कि पृथ्वी का भ्रमण करो। जब पवित्र धरती आएगी तो ध्वजा सफेद हो जाएगी, समझ लेना कि कलंक उतर गया। पांडव ध्वजा लेकर जब कोलियाक गांव के निकट समुद्र किनारे पहुंचे तो वहां ध्वजा सफेद हो गई। पांडवों ने समुद्र में स्नान किया और भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। शिवजी ने पांडवों को दर्शन दिए तो पांडवों ने विनती की कि भगवान हमें दर्शन देने का प्रमाण देना पड़ेगा। शिवजी ने पांडवों से कहा कि तुम रेत से शिवलिंग बनाओ। इस तुम्हारा कलंक उतरा है, ऐसे में यह जगह निष्कलंक के रूप पहचानी जाएगी।
मंदिर में तिथि के अनुसार होते हैं दर्शन


मंदिर के महंत गोस्वामी प्रतापगिरी जीवनगिरी के अनुसार मंदिर का इतिहास करीब साढ़े पांच हजार वर्ष पुराना है। यहां रोजाना समुद्र की लहरें भगवान का अभिषेक करती हैं। 24 घंटे में से करीब आधे दिन मंदिर समुद्र की लहरों में डूबा रहता है और आधे दिन बाहर रहता है। इसलिए मंदिर के दर्शन का समय तिथि के अनुसार होता है। पूर्णिमा व अमावस्या हो सुबह 7.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक और रात को 7.30 बजे से 12.30 बजे तक भगवान के दर्शन हो सकते हैं। महाशिवरात्रि को विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
तिथि दर्शन (दिन में) दर्शन (रात में)


प्रतिपदा सुबह 8:18 से दोपहर 1:18 रात 8:42 से 1:42 तक
द्वितीया 9:06 से 2:06 9:30 से 230
तृतीया 9:54 से 2:54 10:18 से 3:18
चतुर्थी 10:42 से 3:42 11:6 से 4:06
पंचमी 11:3 से 04:30 11:54 से 4:54
षष्ठी 12:18 से 5:18 12:42 से 5:42
सप्तमी 1:06 से 6:06 1:30 से 6:30
अष्टमी 1:54 से 6:54 2:18 से 7:18
नवमी 2:42 से 7:72 3:06 से 8:06
दशमी 3:30 से 8:30 3:54 से 8:54
एकादशी 4:18 से 9:18 4:42 से 9:42
द्वादशी 5:06 से 10:06 5:30 से 10:30
त्रयोदशी 5:54 से 10:54 6:18 से 11:18
चतुर्दशी 6:42 से 11:42 7:06 से 12:06
पूर्णिमा एवं अमावास्या 7:30 से 12:30 7:30 से 12:30

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