ईडब्ल्यूएस पर सुप्रीमकोर्ट का फैसला स्वागत योग्य
पूरे देश में मांग थी कि, आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। इस मांग का नेतृत्व पाटीदार समाज ने, अल्पेश भाई कथीरिया जैसे युवाओं ने किया। जिस पर भारत सरकार ने संविधान संशोधन किया। तदनुसार, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू किया गया। इसे सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी गई कि यह असंवैधानिक है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने फैसला दिया है कि, लोकसभा में जो संविधान संशोधन पारित किया गया वह सही है। मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करता हूं। सुप्रीमकोर्ट के फैसले के तहत अब आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को हमेशा के लिए 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा।
-गोपाल इटालिया, प्रदेश अध्यक्ष, आम आदमी पार्टी
संघर्षों के परिणाम पर सुप्रीमकोर्ट की मुहर
कई लोगों की जिंदगी और काफी संघर्ष के परिणाम स्वरूप ईडब्ल्यूएस का आरक्षण केन्द्र सरकार की ओर से दिया गया है। अब इस पर आखिरकार सुप्रीमकोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी है। यह खुशी की बात है। सभी लाभार्थियों को इसका लाभ मिले। इसके लिए लोग जागरुक हों इस पर कार्य करेंगे। इस संघर्ष में साथ देने वाले लाभार्थियों को भी बधाई।
-रेशमा पटेल, प्रवक्ता, एनसीपी, पास कार्यकर्ता
शिक्षा संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों) को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए संविधान में 103वां संशोधन किया गया। इसे चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने सुनवाई की। आज लाखों गरीबों को इस आरक्षण का लाभ देने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। इसके लिए सुप्रीमकोर्ट का आभार व्यक्त करता हूं।
-हर्ष संघवी, गृह राज्यमंत्री, गुजरात