करीब दस वर्ष पहले वर्ष 2010 में उन पर अहमदाबाद के स्र्टलिंग अस्पताल के तत्कालीन प्रख्यात न्यूरोसर्जन पद्म श्री डॉ सुधीर शाह के नेतृत्व में चिकित्सकों की एक टीम ने भारतीय रक्षा मंत्रालय के तहत संस्थान डिफेन्स इंस्टीट्यूट फॉर फिजियोलोजी एंड एप्लाइड साइंसेज (दिपास) के साथ मिलकर जानी पर शोध भी किया था। उन्हें 22 अप्रेल 2010 से लेकर 6 मई 2010 तक निरीक्षण में रखा गया था। इस शोध में निष्कर्ष निकाला गया था कि वे बिना पानी और अन्न के रह सके थे।
शोध में यह जानने का प्रयास किया गया था कि जानी में क्या ऐसी विशेष बात है जिससे वे बिना अन्न,जल के सामान्य जीवन बीता सकते हैं। जानी का इससे पहले भी वर्ष 2003 में इसी अस्पताल में निरीक्षण पर रखा गया था।
जानी का जन्म गांधीनगर जिले की माणसा तहसील के चराडा गांव में हुआ था। बचपन से ही वे माताजी का वेश धारण करते थे।
जानी का जन्म गांधीनगर जिले की माणसा तहसील के चराडा गांव में हुआ था। बचपन से ही वे माताजी का वेश धारण करते थे।