वैसे तो 130 करोड़़ के इस प्रोजेक्ट की परिकल्पना 1958 में राजरत्न कालिदास शेठ ने की थी। हालांकि अनेक अड़चनों के बाद इसका शिलान्यास 2007 में किया गया और अब 13 वर्ष बाद बनकर तैयार है।
अब इस रोप-वे से सिर्फ आठ मिनट में मंदिर तक पहुंचा जा सकेगा। रोप-वे में 8 ट्रॉली होगी। प्रत्येक ट्रॉली में 8 लोग रहेंगे। एक घंटे में 800 लोग इससे आ जा सकेंगे। रोप-वे के लिए अलग-अलग ऊंचाई के नौ पिलर तैयार किए गए हैं। सबसे ज्यादा अंतर छठे व सातवें पिलर के बीच है। छठे पिलर की ऊंचाई 66 मीटर से भी ज्यादा है।
उषा ब्रेको लिमिटेड ने इसे 2 वर्ष के रिकॉर्ड समय में तैयार किया। इन दो वर्षों के दौरान दो सीजन में भारी बारिश और फिर इस वर्ष कोरोना महामारी के साथ-साथ मुश्किल भौगोलिक स्थिति का भी सामना करना पड़ा। रोप-वे के निर्माण के लिए सामग्री ोक हेलिकॉप्टर की मद लेनी पड़ी। कंपनी के एमडी अपूर्व झावर ने बताया कि 25 केबिन हैं। एक दिन में 8 हजार लोग आ जा सकेंगे।