गांधीनगर के पेथापुर में 103 वर्षीय चंचलबा डाभी ने मतदान किया। चंचलबा अपने मताधिकार का उपयोग कर दूसरे मतदाताओं के लिए प्रेरणास्रोत बनीं। वहीं एक-एक वोट की कीमत समझते हुए गांधीनगर जिला चुनाव प्रशासन भी पेथापुर गांव में चंचलबा के घर पहुंचा। जिला चुनाव अधिकारी मेहुल दवे भी यहां मौजूद रहे।
घर बैठकर अपने मताधिकार का उपयोग करने की कल्पना भी असंभव लगती है, लेकिन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए चुनाव आयोग एक-एक वोट की कीमत कर रहा है। इसके मद्देनजर ही मौजूदा समय में 85 वर्ष या उससे ज्यादा बुजुर्गों और दिव्यांगों को घर बैठे मतदान कराने की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। ऐसा भी कहा जा सकता है कि एक-एक वोट लेने चुनाव प्रशासन के अधिकारी और कर्मयोगी घर-घर जा रहे हैं। लोकतंत्र को मजबूत करने का यह सराहनीय कार्य है।
पेथापुर गांव की 103 वर्षीय चंचलबाकेशरसिंह डाभी ने घर बैठकर अपना मूल्य मतदान किया। अभी भी चलते-फिरते और प्रपोत्र और पौत्रों को खिलाने वाली चंचलबा के चेहरे पर वोट करने की झलक नजर आ रही थी। उन्होंने अपनी अनोखी शैली में कहा कि भाई, पहले तो मतदान करने के लिए वाहन से जाना पड़ता था। मतदान करने के बाद पैदल लौटकर आना पड़ता था। कभी-कभार वाहन आता था तो मतदान करने की इच्छा नहीं होती थी। ऐसे में घरेलू काम में व्यस्त रहने वाली हमारे जैसी कई महिलाएं मतदान करने नहीं जाते थे, लेकिन चुनाव आयोग ने यह अच्छा कार्य किया है। ऐसे में मैंने घर बैठे अपने मताधिकार का उपयोग किया।
उन्होंने कहा मेरे चार बेटे हैं, जिनमें दो बेटे नटवरसिंह डाभी और दशरथसिंह डाभी सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हुए हैं। अन्य बेटे अजीतसिंह और रतन सिंह निजी कारोबार में है। चंचलबा अपने मताधिकार का उपयोग कर सकें, इसके लिए मतदान अधिकारी ने सर्वे किया था। उस समय जागरूक मतदाता परिवार के सदस्यों ने चंचलबा के लिए घर से वोट करने की इच्छा जताई थी।
103 वर्षीय चंचलबा डाभी ने जब मतदान किया था, उस दौरान गांधीनगर जिला कलक्टर और चुनाव अधिकारी मेहुल दवे भी मौजूद रहे। उन्होंने घर के सदस्यों से बातचीत की। परिवार के सदस्यों ने चुनाव आयोग के इस दृष्टिकोण की सराहना की। इस मौके पर सभी ने 7 मई को अवश्य मतदान करने और दूसरों को भी प्रेरित करने का विश्वास दिलाया।