1955 में भूदान आंदोलन से जुड़े
मोदी दादा धर्माधिकारी व द्वारकादास जोशी की प्रेरणा से वर्ष 1955 में भूदान आंदोलन के कार्यों में शामिल हुए। वे पांच वर्ष तक हर महीने 25 दिन पदयात्रा करते थे। उन्होंने सांतलपुर, हारिज व राधनपुर तहसील में बड़े पैमाने पर भूमि वितरण का कार्य किया। इस दौरान विनोवा भावे, जय प्रकाश नारायण, दादा धर्माधिकारी, रविशंकर महाराज तथा विभिन्न सर्वोदय नेताओं के साथ काम करने का उन्हें मौका मिला। उन्हें तीन हजार बीघा जमीन वितरण करने का सौभाग्य मिला।
गांधीजी के अभिलेखागार का कार्य संभाला
साबरमती आश्रम से जुड़ने और ट्रस्ट के सचिव के रूप में कार्यरत होने के बाद उन्होंने आश्रम में गांधीजी के अभिलेखागार का कार्य संभाला। पिछले 50 वर्ष से वे साबरमती आश्रम की ओर से गांधीजी के साहित्य व गांधी विचार के प्रचारृ-प्रसार का कर रहे थे। देश-विदेश से आने वाले कई राष्ट्राध्यक्षों के साथ-साथ लोगों को गांधी केजीवन के बारे में जानकारी प्रदान करते थे।