साइबर क्राइम अहमदाबाद के एसीपी हार्दिक मांकडिया ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों में बनासकांठा जिले के डीसा निवासी जिगर जोशी, जतिन चोखावाला, डीसा में ही दीपक उर्फ दीपू सोनी, डीसा के कुडा गांव का मावजी पटेल और राजस्थान के नागौर जिले के धाधरियाकलान गांव निवासी अनिल कुमार मंडा शामिल हैं। जतिन, दीपक, मावजी और अनिल यस बैंक के कर्मचारी हैं। अनिल बैंक की राजस्थान की मेरता ब्रांच में कार्यरत है।
वैरिफिकेशन बिना खोला था बैंक खाता, पैसे करते रफा-दफा
एसीपी ने बताया कि जांच में पता चला कि बुजुर्ग से ठगे 1.15 करोड़ रुपए बनासकांठा जिले के डीसा स्थित जिस बैंक के अकाउंट में जमा हुए थे, उस बैंक खाते को यस बैंक-डीसा के कर्मचारी जतिन , दीपक और ब्रांच के डिप्टी मैनेजर मावजी ने बिना किसी वैरिफिकेशन व दस्तावेज के खोल दिया था। इतना ही नहीं, ये लोग ठगी की राशि को रफा-दफा करने, पैसों को नकद रूप से निकालने में भी आरोपियों की मदद करते थे। इसके लिए इन्हें 10 फीसदी तक कमीशन मिलता था।
तीन आरोपियों की पहले हो चुकी है गिरफ्तारी
इस मामले में तीन आरोपियों की पहले गिरफ्तारी हो चुकी है। इसमें राजस्थान के जालौर जिले के खितवाना साखौन निवासी शिवराज जाट, बालोतरा जिले की सिमदडी तहसील के फूलन गांव निवासी कमलेश कुमार बिश्नोई और जालौर जिले की जायल तहसील के कुवाडखेडा बडी खाटू गांव निवासी नाथूराम जाट शामिल हैं। ये तीनों 29 नवंबर तक रिमांड पर हैं। बुजुर्ग से ठगे गए 1.15 करोड़ रुपए डीसा के जिस बैंक अकाउंट में जमा हुए थे वह शिवराज के नाम पर था। इसके बाद अन्य बैंक खातों में जमा हुए, जो कमलेश और नाथूराम से जुड़े थे। 1.15 करोड में से 63.60 लाख जल्द शिकायत मिलने से फ्रीज करा दिए थे। पकड़े गए तीन आरोपियों से 11 लाख नकद मिले थे। आरोपी जयेश के पास से भी नौ लाख नकद बरामद हुए हैं। जिसे शिकायतकर्ता को कोर्ट के जरिए लौटा दिया गया है।
पार्सल में ड्रग्स मिलने की बात कहकर डराया, 1.15 करोड़ ठगे
एसीपी मांकडिया ने बताया कि साइबर ठगों ने 16 नवंबर को बुजुर्ग को दिल्ली पुलिस कर्मचारी बनकर फोन कर कहा कि एक पार्सल मिला है, जिसमें एमडीएमए ड्रग्स, 16 पासपोर्ट, 58 एटीएम कार्ड मिले हैं और बुजुर्ग का आधारकार्ड मिला है। उनके विरुद्ध एफआईआर हुई है। कोर्ट ने अरेस्ट वारंट निकाला है। जांच में सहयोग नहीं करने पर और जैसा वे कहें वैसा नहीं करने पर केस में फंसा दिया जाएगा और गिरफ्तार कर लिया जाएगा। फिर वॉट्सएप में दिल्ली पुलिस के एक उच्च अधिकारी के नाम पर अन्य व्यक्ति ने बात की और उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया जाता है, कहकर उनका बयान दर्ज किया। इसमें उनसे उनकी बैंक की जानकारी व अन्य महत्वपूर्ण जानकारी ले ली। फिर वैरिफिकेशन करने के नाम पर और बाद में पैसे लौटाने की बात कहकर उनके बैंक से एक करोड़ 15 लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए। आरोपियों ने सीबीआई के लोगो वाला, दिल्ली कोर्ट के नाम का और आरबीआई की मुहर वाले फर्जी पत्रों के फोटो भी बुजुर्ग को भेजे थे।