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पानीपत फिल्म बंद कराने के बाद जाट महासभा का ऐलान- महाराजा सूरजमल की प्रतिमा स्थापित की जाएगी, देखें वीडियो आगरा किले पर अधिकार महाराजा सूरजमल का जन्म 13 फरवरी, 1707 को हुआ था। वे 22 मई, 1755 को डीग में राजगद्दी पर बैठे। पानीपत की तीसरी लड़ाई में सबकुछ नष्ट हो गया था। इसके विपरीत महाराज सूरजमल पहले की तरह अविजित थे। उन्होंने अहमदशाह अब्दाली के सामने कभी सिर नहीं झुकाया। कहा जाता है कि महाराजा सूरजमल के हृदय में वीर गोकुला जाट के बलिदान का बदला लेने की आग धधक रही थी। इसी उद्देश्य से उन्होंने आगरा किला पर अधिकार करने की रणनीति बनाई। 3 मई, 1761 को चार हजार जाट सैनिकों ने आगरा किला को घेर लिया। भयंकर लड़ाई हुई। तोपों के गोलों के निशान आज भी किले की दीवार पर देखे जा सकते हैं। 12 जून, 1761 को सूरजमल ने आगरा किला पर अधिकार कर लिया। लगातार 1774 तक भरतपुर शासकों के अधिकार में आगरा किला रहा। जाटों का शौर्य देखिए कि महाराज सूरजमल के बाद आगरा किला पर जाटों का अधिकार बना रहा। सूरमजल के बाद जवाहर सिंह गद्दी पर बैठे।
पानीपत फिल्म बंद कराने के बाद जाट महासभा का ऐलान- महाराजा सूरजमल की प्रतिमा स्थापित की जाएगी, देखें वीडियो आगरा किले पर अधिकार महाराजा सूरजमल का जन्म 13 फरवरी, 1707 को हुआ था। वे 22 मई, 1755 को डीग में राजगद्दी पर बैठे। पानीपत की तीसरी लड़ाई में सबकुछ नष्ट हो गया था। इसके विपरीत महाराज सूरजमल पहले की तरह अविजित थे। उन्होंने अहमदशाह अब्दाली के सामने कभी सिर नहीं झुकाया। कहा जाता है कि महाराजा सूरजमल के हृदय में वीर गोकुला जाट के बलिदान का बदला लेने की आग धधक रही थी। इसी उद्देश्य से उन्होंने आगरा किला पर अधिकार करने की रणनीति बनाई। 3 मई, 1761 को चार हजार जाट सैनिकों ने आगरा किला को घेर लिया। भयंकर लड़ाई हुई। तोपों के गोलों के निशान आज भी किले की दीवार पर देखे जा सकते हैं। 12 जून, 1761 को सूरजमल ने आगरा किला पर अधिकार कर लिया। लगातार 1774 तक भरतपुर शासकों के अधिकार में आगरा किला रहा। जाटों का शौर्य देखिए कि महाराज सूरजमल के बाद आगरा किला पर जाटों का अधिकार बना रहा। सूरमजल के बाद जवाहर सिंह गद्दी पर बैठे।
यह भी पढ़ें जाटों का IQ यादवों से अधिक, इसी कारण आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका, देखें वीडियो ताजमहल को बचाया अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुंवर शैलराज सिंह एडवोकेट ने बताया कि महाराजा सूरजमल को आगरा किला से 50 लाख रुपये तथा भारी संख्या में गोला बारूद, शस्त्र एवं तोपें मिलीं, जो डीग व भरतपुर के दुर्गों में पहुंचा दी गईं। किले में स्थायी जाट रक्षक सेना तैनात कर दी गई। इस प्रकार आगरा, जिसे द्वितीय शाही राजधानी का गौरव प्राप्त था, पर जाट राजा का अधिकार स्थापित हो गया। इस अवसर पर सूरजमल ने आगरा के शाही किले में अपना भव्य दरबार आयोजित किया और उसे अपने निजी दुर्ग की तरह सजाया। जाटों ने ताजमहल पर भी अधिकार कर लिया और उसे आग लगाकर नष्ट लर देना चाहते थे। महाराजा सूरजमल ने कहा इस सुंदर निर्जीव इमारत से क्या दोष और सुरक्षित कर दिया। सूरजमल ने आगरा किले के अन्दर से सभी मुस्लिम चिन्ह हटाकर उसे यज्ञ हवन आदि से पवित्र किया। उस सिंहासन पर बैठे, जहां बादशाह के अलावा कोई नहीं बैठता था। हिंगणे दफ्तर, 11, पत्र 46; रेने मैडक के अनुसार सूरजमल ने किले पर अधिकार के बाद उसका पुनर्निर्माण किया।
यह भी पढ़ें जाट समाज आगरा के गांव-गांव में करेगा Love panchayat, देखें वीडियो वीर गोकुला की शहादत का बदला अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुंवर शैलराज सिंह एडवोकेट ने बताते हैं कि औरंगजेब ने वीर गोकुला जाट को इस्लाम धर्म स्वीकार न करने पर बोटी-बोटी कटवाई थी। इसका बदला महाराजा सूरजमल ने लिया, भले ही नौ दशक बाद।
यह भी पढ़ें औरंगजेब ने जहां वीर गोकुला जाट का अंग-अग कटवाया था, उसे आज फव्वारा कहते हैं, देखें वीडियो बिड़ला मंदिर में प्रमाण महाराज सूरजमल द्वारा आगरा का किला विजय के विषय में दिल्ली स्थित बिड़ला मन्दिर में एक स्तम्भ पर हाथ में तलवार लिये हुये, महाराजा सूरजमल की विशालकाय मूर्ति स्थापित है। उस स्तम्भ पर शिलालेख अंकित है – “आर्य (हिन्दू) धर्मरक्षक कृष्णवंशी जाट वीर भरतपुर के महाराजा सूरजमल जिनकी वीरवाहिनी जाट सेना ने मुग़लों के लाल किले (आगरा) पर विजय प्राप्त की।” इसी मूर्ति के निकट ऐसी ही एक दूसरी मूर्ति है जिसके स्तम्भ पर शिलालेख अंकित है – “आर्य (हिन्दू) धर्मरक्षक जाट वीर भरतपुर के महाराजा सूरजमल, जिनकी वीरवाहिनी जाट सेना ने आगरे के प्रसिद्ध शाहजहां के कोट (किले) को अधिकार में कर लिया था।” बिड़ला मन्दिर की पश्चिमी अन्तिम सीमा में एक मकान की दीवार पर लेख अंकित है – “आगरा मुग़लों के लाल किले पर जाट वीरों की विजय।” “जाटों की सेना का विजय प्रवेश भरतपुर के वीर जाटों की सेना आगरा मुगलों के लाल किले को विजय कर रही है।” उस दीवार पर, आगरा के किले पर आक्रमण कर रही भरतपुर के जाट वीरों की सेना का चित्र अंकित है। दिल्ली क्रानिकल्स, पृ० 124; सियार, 111, पृ० 402 के अनुसार एक महीने के घेरे के बाद 12 जून 1761 ई० को मुगलों के अधीन आगरा के किले पर जाट सेना का अधिकार हो गया। जाटों को यहां लूट में विशाल सामग्री मिली।
यह भी पढ़ें स्वागत के बहाने एकजुट हो रहे jaat t, कुछ कर दिखाने की तैयारी, देखें वीडियो धोखे से मारा कुँवर शैलराज सिंह ने बताया कि 25 दिसम्बर, 1763 को क्रिसमस के दिन शाहदरा में हिंडन के किनारे मुग़ल सेना के नवाब नजीबुद्दौला की सैन्य टुकड़ी के साथ मुठभेड़ में महाराजा सूरजमल को वीर गति प्राप्त हुई। उस समय उनकी उम्र 56 वर्ष थी। जवाहरसिंह ने गोवर्धन (मथुरा) में अपने पिता की प्रतीकात्मक अंत्येष्टि की। इसके लिए रानी ने सूरजमल के दो दांत ढूंढ निकाले थे। अंतिम संस्कार की रस्म पूरी करने के बाद जवाहरसिंह राजगद्दी पर बैठे। शैलराज सिंह का मानना है कि महाराजा सूरजमल की हत्या धोखे से की गई।