आपको बता दें कि पिछले दो दशक में यहां कांग्रेस एक बार भी नहीं जीत सकी। इस बार फिर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है। बीजेपी ने सुसनेर विधान सभा सीट से विक्रम सिंह राणा को चुनावी रण में उतारा है, तो कांग्रेस ने भारूसिंह बापू को मौका दिया है। आपको बता दें कि सुसनेर को 16 अगस्त 2013 में दूसरी बार जिले का दर्जा दिया गया था। इससे पहले मध्य भारत राज्य के समय साल 1956 तक इसे जिले का दर्जा हासिल था। जिले के तहत 2 विधानसभा सीटें आती हैं, इनमें एक सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है तो, दूसरी सीट सामान्य वर्ग के लिए है। सुसनेर सीट पर पिछले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत का सेहरा पहना था। लेकिन बाद में वे बीजेपी में शामिल हो गए।
कितने वोटर्स
2018 के चुनाव में यहां पर कुल 2,04,526 वोटर्स थे, जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 1,06,973 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 97,547 थी। इनमें से कुल 1,77,226 (88.0फीसदी) वोटर्स ने वोट डाले। बीजेपी के पक्ष में 2,842 (1.4 %) वोट डाले गए।
जातिगत समीकरण
सुसनेर विधान सभा सीट पर जातिगत समीकरण बताते हैं कि इस सीट पर सोंधिया और राजपूत वोटर्स निर्णायक भूमिका रहते हैं। सोंधिया वोटर्स की संख्या करीब 40 हजार है। इनके अलावा यादव समाज के वोटर्स भी यहां अहम भूमिका निभाते हैं।
2018 के चुनाव
2018 के चुनाव पर नजर डालें तो, यहां पर 9 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे, लेकिन मुकाबला त्रिकोणीय हो गया। इसमें बीजेपी के उम्मीदवार मुरलीधर पाटीदार तीसरे स्थान पर रहे। जबकि निर्दलीय उम्मीदवार विक्रम सिंह राणा ने कांग्रेस के महेंद्र भैरो सिंह बापू को हरा दिया। विक्रम को चुनाव में 75,804 वोट मिले तो, महेंद्र भैरो सिंह को 48,742 वोट मिले। बीजेपी को यहां पर 43,880 वोट मिले थे। निर्दलीय उम्मीदवार विक्रम सिंह राणा ने 27,062 मतों के अंतर से यह जीत अपने नाम कर ली। 6 दशक बाद यहां से निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी।
सुसनेर विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास
सुसनेर विधानसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। जबकि कांग्रेस को 1998 के बाद से अब तक एक भी जीत नहीं मिली है। 90 के बाद की राजनीति पर 1990 में बीजेपी ने 1985 के बाद दूसरी बार यहां से जीत हासिल की। लेकिन कांग्रेस के वल्लभभाई अंबावतिया ने 1993 के चुनाव में बीजेपी से यह सीट झटक ली और 1998 में भी यह सीट अपने पास ही रखी, लेकिन कांग्रेस के लिए इस सीट पर यह आखिरी जीत साबित हुई। वहीं 2003 के चुनाव में बीजेपी के फूलचंद वैद्य ने जीत हासिल की। फिर 2008 में बीजेपी के संतोष जोशी यहां से जीते। 2013 में बीजेपी के उम्मीदवार मुरलीधर पटीदार ने जीत का जश्न मनाया। तो बीजेपी ने इस सीट पर लगातार 3 बार जीतकर हैट्रिक बनाई। लेकिन बीजेपी ने हर बार यहां अलग ही प्रत्याशी को मैदान में उतारा। जबकि 2018 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज कराई।