सिलवासा. मानसून की विदाई के समय बारिश वन्यजीवों के लिए सौगात से कम नहीं रही। अंतिम चरण की बारिश ने जंगलों के तालाब, सराय, पोखर, नाले सभी भर दिए हैं। पानी से धरा की घास बरकरार है। बारिश से वन्यजीवों के भोजन एवं पानी की समस्या समाप्त हो गई है। जंगलों में घास हरीभरी दिखाई देने लगी है। चेकडेम एवं तालाबों में पानी भर गया है। पहाड़ों से गिरते झरने सुशोभित हो गए हैं। दमणगंगा व साकरतोड़ नदियां बहने लगी हैं। मानसून सक्रिय रहने से दपाड़ा डियर पार्क व वासोणा लॉयन सफारी के नाले व तालाब पानी से लबालब भर गए हैं। सुहावना मौसम व हरीतिमा से भरपूर डियर पार्क में जानवरों की हलचल बढ़ गई हैं। वनरक्षक बी के रोहित ने बताया कि सतमािलया अभयारण्य में सांभर, चीतल व नीलगाय मिलाकर कुल 371 शाक पशु प्राणी हैं। 310 हैक्टेयर भूभाग पर फैले सतमालियां की देखभाल एवं रख-रखाव वन विभााग करता है। इस बार इस अभयारण्य में 25 से 30 जानवर बढ़ गए हैं। बारिश से अभयारण्य में हरी घास की कमी नहीं हैं। मानसून के बाद जानवरों के लिए सतमालिया के 5-6 प्लॉट बनाकर हरी घास सुरक्षित रखी जाती है। एक प्लॉट की घास खा लेने पर दूसरे प्लॉट में जानवरों को छोड़ दिया जाता है। हरी-भरी लम्बी घास की खास किस्में मानसून में बोई जाती हैं। वर्तमान में पांच प्लॉट में भरपूर हरी घास खड़ी है। मानसून विदा होते ही जानवरों को सप्लीमेंट्री आहार देना शुरू कर दिया है।