कैसी होगी कानपुर के ग्रीन पार्क की पिच
कानपुर में पिच काली मिट्टी की होगी। इस पिच का मिजाज कब बदल जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। यहां हुए पिछले मुकाबलों को देखा जाए, तो अभी तक यहां अधिकतर हुए टेस्ट मुकाबलों में गेंद की उछाल कम आंकी गई है। लेकिन पिच का कायाकल्प होने के बाद तेज गेंदबाज भी हावी दिखे, जिसमें खतरनाक बाउंसर भी बल्लेबाजों के लिए परेशानी का सबब बन जाती है। यहां शुरुआत में स्पिन का बोलबाला रहेगा और यहां बल्लेबाजों को संभालने की जरूरत होगी क्योंकि दोनों टीमों में कई धुरंधर स्पिनर शामिल हैं। ऐसा अनुमान है कि चेन्नई में सतह से मिली उछाल की तुलना में ग्रीन पार्क की पिच अधिक सपाट होगी और टेस्ट के आगे बढ़ने के साथ ही उछाल भी कम होती चली जाएगी। कानपुर की पिच के धीमा होने की संभावना को देखते हुए दोनों टीमें अपनी रणनीति और चयन में बदलाव ला सकती हैं। तीसरे तेज गेंदबाज की जगह एक अतिरिक्त स्पिनर ले सकता है। भारतीय टीम में कुलदीप यादव या अक्षर पटेल में से किसी एक की जगह बन सकती है।
एक तरफ भारत की नजर ये मैच जीतकर सीरीज पर कब्जा जमाने पर होगी, जबकि मेहमान टीम हर हाल में कानपुर टेस्ट जीतकर सीरीज ड्रॉ कराना चाहेगी। सीरीज जीत के साथ रोहित ब्रिगेड के पास कई बड़े रिकॉर्ड बनाने का मौका है, जिसमें टीम और व्यक्तिगत रिकॉर्ड शामिल है। ग्रीन पार्क में अब तक 23 टेस्ट खेले जा चुके हैं और 10 मैचों के ही नतीजे निकले हैं। पहली पारी में बल्लेबाजी करना आसान होता है और 370 का औसतन स्कोर बना है। दूसरी पारी में 322, तीसरी में 253 और आखिरी पारी में सिर्फ 137 रन तक बन पाते हैं। इसी मैदान पर भारत ने ऑस्ट्रेलिया को चौथी पारी में 105 रन पर ढेर कर मैच जीत लिया था।