रतनपुर में महामाया देवी
रतनपुर में महामाया देवी का सिर है और उसका धड़ अम्बिकापुर में है प्रतिवर्ष वहां मिट्टी का सिर बनाये जाने की बात कही जाती है। इसी प्रकार संबलपुर के राजा द्वारा देवी मां का प्रतिरूप संबलपुर ले जाकर समलेश्वरी देवी के रूप में स्थापित करने की किंवदंती प्रचलित है। समलेश्वरी देवी की भव्यता को देखकर दर्शनार्थी डर जाते थे अत: ऐसी मान्यता है कि देवी मंदिर में पीठ करके प्रतिष्ठित हुई सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में जितने भी देशी राजा-महाराजा हुए उनकी निष्ठा या तो रतनपुर के राजा या संबलपुर के राजा के प्रति थी। कदाचित् मैत्री भाव और अपने राज्य की सुख, समृद्धि और शांति के लिए वहां की देवी की प्रतिमूर्ति अपने राज्य में स्थापित करने किये जो आज लोगों की श्रद्धा के केंद्र हैं।
चंद्रपुर में चंद्रसेनी देवी
चंद्रसेनी या चद्रहासिनी देवी सरगुजा से आकर सारंगढ़ और रायगढ़ के बीच महानदी के तट पर विराजित हैं। उन्हीं के नाम पर कदाचित् चंद्रपुर नाम प्रचलित हुआ। पूर्व में यह एक छोटी जमींदारी थी, चंद्रसेन नामक राजा ने चंद्रपुर नगर बसाकर चंद्रसेनी देवी को विराजित करने की किंवदंती भी प्रचलित है तथ्य जो भी हो, मगर आज चंद्रसेनी देवी अपने नव कलेवर के साथ लोगों की श्रद्धा के केंद्र बिंदु है। नवरात्रि में और अन्य दिनों में भी यहां बलि दिये जाने की प्रथा है। पहाड़ी में सीढ़ी के दोनों ओर अनेक धार्मिक प्रसंगों का शिल्पांकन है , हनुमान और अर्द्धनारीश्वर की आदमकद प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है। रायगढ़, सारंगढ़, चाम्पा, सक्ती में समलेश्वरी देवी की भव्य प्रतिमा है।
दंतेवाड़ा में दंतेश्वरी देवी
बस्तर की कुलदेवी दंतेश्वरी देवी हैं जो यहां के राजा के साथ आंध्र प्रदेश के वारंगल से आयी और शंखिनी डंकनी नदी के बीच में विराजित हुई और बाद में दंतेवाड़ा नगर उनके नाम पर बसायी गयी। बस्तर का राजा नवरात्रि में नौ दिन तक पुजारी के रूप में मंदिर में निवास करते थे. देवी की उनके उपर विशेष कृपा थी। जगदलपुर महल परिसर में भी दंतेश्वरी देवी का एक भव्य मंदिर है।
डोंगरगढ़ में बमलेश्वरी देवी
माँ बम्लेश्वरी देवी के मंदिर के लिये विख्यात डोंगरगढ एक ऎतिहासिक नगरी है। यहां माँ बम्लेश्वरी के दो मंदिर है। पहला एक हजार फीट पर स्थित है जो कि बड़ी बम्लेश्वरी के नाम से विख्यात है। मां बम्लेश्वरी के मंदिर मे प्रतिवर्ष नवरात्र के समय भव्य मेला आयोजित किया जाता है जिसमे लाखो की संख्या मे दर्शनार्थी भाग लेते है। चारो ओर हरी-भरी पहाडियों, छोटे-बडे तालाबो एवं पश्चिम मे पनियाजोब जलाशय, उत्तर मे ढारा जलाशय तथा दक्षिण मे मडियान जलाशय से घिरा प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण स्थान है डोंगरगढ।