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Cyber Crime: साइबर फ्रॉड पर सरकार का बड़ा एक्शन, बख्शे नहीं जाएंगे स्कैमर्स

Central Government ने साइबर क्राइम को रोकने के लिए 6 लाख मोबाइल नंबर, 65 हजार URL और 800 ऐप्स को ब्लॉक किया है। साइबर विंग ने 3.25 लाख धोखाधड़ी वाले खातों को फ्रीज करके 2800 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी रोकी है।

नई दिल्लीSep 26, 2024 / 05:57 pm

Devika Chatraj

Cyber Crime के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार की तरफ से लगातार इसे रोकने के प्रयास किये जा रहे हैं। इस पर बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने 6 लाख मोबाइल फोन को बंद करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही MHA के साइबर विंग के आदेश पर 65 हजार साइबर फ्रॉड करने वाले URLs को भी ब्लॉक कर दिए गए हैं। जानकारी के मुताबिक साइबर फ्रॉड से जुडी हुई 800 से ज्यादा एप्लिकेशन्स को बंद किया गया है। इसके साथ ही गृह मंत्रालय के I4C विंग लगातार बढ़ते स्कैम को रोकने के लिए नए-नए कदम उठा रही है।
2023 की कैलकुलेशन के हिसाब से NCRP (नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल) पर 1 लाख से ज़्यादा इन्वेस्टमेंट स्कैम्स की शिकायतें मिली थी। 17 हजार FIR दर्ज की गई हैं। और वहीं जनवरी 2024 से सितंबर 2024 तक डिजिटल अरेस्ट की 6000, ट्रेडिंग स्कैम की 20,043, इन्वेस्टमेंट स्कैम की 62,687 और डेटिंग स्कैम की 1725 शिकायतें दर्ज हुई हैं।

क्या है ‘I4C विंग’?

I4C आम जनता की साइबर सुरक्षा से जुड़े सभी मुद्दों से निपटने के लिए बनाई गई एक विंग है। जिसमें विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों और हितधारकों के बीच समन्वय में सुधार, साइबर अपराध से निपटने के लिए भारत की समग्र क्षमता में परिवर्तन लाना और नागरिक संतुष्टि के स्तर में सुधार करना शामिल है। इसकी स्थापना 5 अक्टूबर, 2018 को गृह मंत्रालय के साइबर और सूचना सुरक्षा प्रभाग (CIS डिवीजन) के भीतर सेंट्रल सेक्टर स्कीम के तहत की गई थी। यह सेंटर सभी राज्यों के कंट्रोल रूम से जुड़कर हाई प्रायोरिटी केस की मॉनिटरिंग करता है।

विंग I4C ने क्या-क्या एक्शन लिए?

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फ्रॉड से निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए?

देश भर में बढ़ रहे साइबर क्राइम को देखते हुए विंग ने राष्ट्रीय स्तर का कोऑर्डिनेशन सेंटर बनवाया, आम जनता के साथ हुए साइबर क्राइम के शिकायत दर्ज की जाने को लेकर नागरिकों की मदद करना। इसकी बढ़ोत्तरी में रोकथाम के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मदद करना। साइबर अपराध की प्रवृत्तियों और पैटर्न की पहचान करना। साइबर अपराध की प्रवृत्तियों और पैटर्न की पहचान करना साथ ही फर्जी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की पहचान करके उसके खिलाफ कार्रवाई करना और डिजिटल अरेस्ट पर अलर्ट जारी करना। इस तरह से विंग साइबर क्राइम पर रोकथाम के पूरे प्रयास कर रही है।

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