फैजाबाद के लोगों ने मुस्लिमों के रामलीला में भगवान का किरदार निभाये जाने पर जताया विरोध, हिंदू नवरात्रि में करते हैं सात्विक भोजन अतः वही बनेंगे राम, हनुमान
फैजाबाद। मुमताजनगर की रामलीला के अहम किरदार राम, सीता, लक्ष्मण आदि बनने से मुस्लिम युवकों को रोक दिया गया है। कमेटी के मुताबिक चूंकि मुस्लिम मीट खाते हैं अतः वे यह किरदार नहीं निभा सकते। रामलीला कमेटी के प्रमुख माजिद अली बताते हैं गौमाँस न खाना हिंदू होने की गैरंटी नहीं है। कुछ स्थानीय लोगों ने मुस्लिमों के प्रमुख किरदार निभाने को लेकर आपत्ति जताई है। माजिद के मुताबिक, लोगों ने कहा है कि चूंकि मुस्लिम मीट खाते हैं, इसलिए इन्हें भगवान के किरदार में नहीं होना चाहिए।
उन्होंने बताया कि जब हमें इस तरह की आपत्तियों की भनक लगी, तो हमने मुस्लिमों को किरदार के तौर पर रखना बंद कर दिया। कमेटी के एक वरिष्ठ सदस्य बलधारी यादव ने बताया कि रामलीला के दौरान लोग भगवान का किरदार निभाने वाले इन लोगों के पैर छूते हैं इसलिए लोगों द्वारा इस बात पर आपत्ति जताई जाने लगी कि ये लोग तो मीट खाते हैं।
इसके उलट हिंदुओं को यह किरदार देने की मांग की जाने लगी, जो नवरात्र के दौरान अमूमन वेज अपना लेते हैं। यादव ने कहा कि मुस्लिमों को छोटे-मोटे किरदार मिल जाते हैं। इतने सब के बाद भी यहां की रामलीला में किसी भी तरह का द्वेष-झगड़ा पैदा नहीं होता। साल 1963 से लेकर अब तक यह आयोजन उसी उत्साह के साथ इस बार भी जारी है। नसीम ने बताया कि वह टेलर हैं व इस आयोजन का खर्च उठाने के लिए वे नवरात्र में अतिरिक्त ऑर्डर उठाना शुरू कर देते हैं। वह कहते हैं कि यह सही मायने में सुखद लगता है कि हम सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल कायम करते हैं।
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