इसके बाद हिंदुओं ने मुस्लिमों के खाली पड़े घरों की भी सुरक्षा की। बिसाहड़ा गांव के 65 वर्षीय अब्दुल मुहम्मद ने बताया कि हमें हिंदू पड़ोसियों ने बताया कि बड़ी भीड़ हमारे घरों की ओर आ रही है। इससे हम डर गए और भीड़ के आने से पहले जल्द से जल्द घर छोड़ना चाहते थे। भीड़ जब मस्जिद के पास पहुंची तब तक हम नि कल गए। अगर हिंदुओं ने हमारी मदद न की होती तो बच नहीं पाते।
जब भीड़ मुस्लिम घरों के पास पहुंची तो अशोक कुमार, विनीत और उमेश ने नाटकीय तरीके से एक मुस्लिम संयुक्त परिवार को बचाया। अशोक परिवार के बुजुर्गो, म हिलाओं और बच्चों को तालाब पार कराते हुए दूसरी ओर ले गया। वहीं उमेश और विनीत ने परिवार के सामान ढोने वाले वाहन को संकरी गली से होते हुए निकाल ले गए। विनीत ने बताया कि, उन्हें चुपचाप निकाल लिया गया। वे कुल 70 लोग थे इसलिए उन्हें निकालने के लिए दादरी से गांव के बीच तीन राउंड लगाने पड़े।
दो दिन बाद जब मामला शांत हुआ तो मुस्लिम परिवार वापिस लौटा। 60 साल की रईसा बानो कहती हैं कि गांव में हम हमेशा सुरक्षित महसूस करते थे लेकिन अचान क से हमारा भरोसा उठ गया। हमारी जान से ज्यादा हमें महिलाओं की आबरू की चिंता है। कई महिलाएं अभी गांव में वापिस नहीं आई है। अब उन्हें हिंदू पड़ोसियों का ही भरोसा है।