खाने-पीने की चीजों में गंदगी मिलाने के कई मामले आए सामने
जयवीर सिंह ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में आपने देखा होगा कि मिलावटी और गंदे सामानों के कई मामले सामने आ रहे हैं। इन घटनाओं पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाया जा सके। जनता को किसी तरह की परेशानी न हो। इसके लिए इस कानून में संशोधन करने की जरूरत थी। इसलिए
योगी सरकार के आदेश के अनुसार इसमें संशोधन किया गया है और सिर्फ सभी दुकानों और फर्मों का नाम लिखने का आदेश दिया गया है और कोई अन्य बदलाव नहीं किया गया है। इसमें किसी मतभेद और विरोध का सवाल ही कहां उठता है? हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी हमारी यूपी सरकार के फैसले को अपनाने का फैसला किया है। हिमाचल में भाजपा की सरकार नहीं है। वहां कांग्रेस की सरकार है।
जनता के लिए कल्याणकारी है सीएम योगी का फैसला
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि पार्टी अलग मुद्दा है। लेकिन, सरकार के फैसले जनहित में लिए जाते हैं। सरकार का काम जनता की समस्याओं का समाधान करना और लोगों के कल्याण के लिए काम करना है। सरकार को जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए और सही काम करना चाहिए। इसके लिए हमेशा फैसले लिए जाने चाहिए। ऐसा ही एक फैसला जनहित में जरूरी है और जनता को मिलावट से मुक्ति दिलाना है, इसलिए हमने यह फैसला लिया है।
मायावती ने इस मामले को लेकर क्या कहा?
मायावती ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, “यूपी सरकार द्वारा होटल, रेस्तरां, ढाबों आदि में मालिक, मैनेजर का नाम, पता के साथ ही सीसीटीवी कैमरा लगाना अनिवार्य करने की घोषणा, कांवड़ यात्रा के दौरान की ऐसी कार्रवाई की तरह ही फिर से चर्चा में है। यह सब खाद्य सुरक्षा हेतु कम और जनता का ध्यान बांटने की चुनावी राजनीति ज्यादा है।” अगले पोस्ट में उन्होंने लिखा, ” खाद्य पदार्थों में मिलावट आदि को लेकर पहले से ही काफी सख्त कानून मौजूद हैं, फिर भी सरकारी लापरवाही/मिलीभगत से मिलावट का बाजार हर तरफ गर्म है, दुकानों पर उनके मालिकों के नाम जबरदस्ती लिखवा देने से क्या मिलावट का काला धंधा खत्म हो जाएगा?”
उन्होंने कहा कि “वैसे भी तिरुपति मंदिर में ’प्रसादम’ के लड्डू में चर्बी की मिलावट की खबरों ने देश भर में लोगों को काफी दुखी व परेशान कर रखा है और जिसको लेकर राजनीति जारी है। धर्म की आड़ में राजनीति के बाद अब लोगों की आस्था से ऐसे घृणित खिलवाड़ का असली दोषी कौन? यह चिंतन जरूरी।”