यहां नगर नियोजकों ने किया तैयार
भीनमाल, कपासन, प्रतापपुर गढ़ी, महुवा के नए मास्टर प्लान को स्वीकृति मिल गई। जबकि देवली, ईटावा, खाटूश्यामजी और रूपवास का नगरीय निकाय में ड्राफ्ट जारी कर दिया गया। इन आठों शहरों का मास्टर प्लान नगर नियोजकों ने ही बनाया है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि जब इन शहरों का काम अफसर कर सकते हैं तो फिर दूसरे शहरों का ठेके पर क्यों? जयपुर शहर में 10 से बढ़कर 32 करोड़ पहुंची लागत, आखिर कैसे?
इस बीच
जयपुर शहर का मामला ज्यादा चर्चा में है। मास्टर प्लान तैयार करने की लागत पहले 10 करोड़ रुपए आंकी गई। फिर एरिया तीन हजार से बढ़ाकर चार हजार वर्ग किलोमीटर करना तय हुआ तो लागत 15 करोड़ रुपए (जीएसटी के अलावा) हो गई। लेकिन जब निविदा खुली तो नगर नियोजकों के होश उड़ गए। निविदा में सफल होने वाली एकमात्र कंपनी ने करीब 32 करोड़ रुपए का खर्चा बता दिया। यानि, करीब-करीब दोगुना ज्यादा राशि। अफसर अब चहेतों को उपकृत करने की तैयारी कर रहे हैं। जयपुर शहर का मास्टर प्लान वर्ष 2047 तक के लिए बनाया जाएगा।
मास्टर प्लान के तहत इन बिन्दुओं पर रहेगा फोकस
- जीवंत शहर : इसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर, पानी व बिजली की सुविधाओं को लेकर प्लान तैयार किया गया है। उपलब्ध खुले क्षेत्र को अधिक से अधिक खुला रखने की पॉलिसी तैयार की जा रही है।
- सुगम : इसमें शहर में बेहतर परिवहन सुविधाएं विकसित करने पर फोकस किया गया है। प्रदूषण मुक्त संसाधनों पर फोकस रहेगा।
- स्वच्छ: शहर में बेहतर सफाई व्यवस्था होगी। इसके लिए सख्ती का प्रावधान किए गए है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के कड़े प्रावधान किए गए है। नियमों की पालना नहीं करने वालों के खिलाफ सजा तक के प्रावधान तय किए जा रहे है।
- समृद्ध: विश्व विरासत हिस्से में परंपरागत उद्योग धंधों को जीवंत किया जाएगा। लोगों को विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। विशेष मार्केट विकसित किए जाएंगे। वहीं, यातायात में बाधित गतिविधियों को बाहर शिफ्ट किया जाएगा। परंपरागत उद्योग को प्रोत्साहित किया जाएगा। व्यावसायिक गोदामों के लिए अलग से पॉलिसी तैयार की जा रही है।