प्रार्थना पत्र में कही ये बात
महिला की ओर से करीब एक माह पहले जिला बाल कल्याण समिति को यह प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन अभी तक बच्चों को कहीं सुरक्षित शरण नहीं मिल पाई। महिला का कहना है कि उसके साथ सड़क पर रहने वाली दोनों बेटियां बड़ी हो रही हैं, जिनकी सुरक्षा को खतरा है और दो छोटे बेटे भी उसकी तरह ही दूसरों के रहम पर जिंदा हैं।
इस स्थिति में बच्चे न तो सुरक्षित है और न ही उनका भविष्य सुधर सकता है। बच्चे फुटपाथ पर रहने के कारण पढ़ भी नहीं पा रहे हैं। ऐसे में इन बच्चों की देखभाल व संरक्षण के लिए
सरकार के सहारे की जरूरत है।
बच्चों को संरक्षण की आवश्यकता
स्नेह आंगन (वन स्टॉप क्राइसिस मैनेजमेंट सेंटर फॉर चिल्ड्रन) ने इन बच्चों से संबंधित सामाजिक जांच रिपोर्ट बाल कल्याण समिति को सौंप दी है। इसमें बच्चों की पारिवारिक स्थिति के आधार पर संरक्षण की आवश्यकता जताई गई है। वहीं राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष पूनम का कहना है कि मुझे मामले की जानकारी नहीं है। मामला मेरे सामने आएगा, तब ही बच्चों को संरक्षण दिलवाने के मामले में कुछ कहा जा सकता है।