फेफड़ों में जब भी दिक्कत होगी सांस की परेशानी पैदा होगी। फुफ्फुसीय एडिमा और तपेदिक और अब कोरोना संक्रमण के कारण फेफड़ों में दिक्कत आने लगी है। इससे सांस लेने में परेशानी की वजह हो सकती है। इन सारी बीमारियों के कारण श्वांस नीली या तो सूज जाती है या कफ से भर जाती है, इससे सांस लेना मुश्किल होने लगता है।
अगर शरीर में सही तरीके से ब्लड सर्कुलेशन नहीं होता है तो फिर हार्ट पर प्रेशर पड़ता है इससे भी सांस फूलती है। कई बार दिल की बीमारियों में भी सांस लेने में तकलीफ होती है।
स्ट्रेस और एंजाइटी अटैक की स्थिति में भी सांस का फूलना देखा जाता है। सांस फूलना, सीने में जकड़न या बहुत आसानी से थक जाना सीवियर स्ट्रेस के ही लक्षण है।
बेड कोेस्ट्रॉल, हैवी वेट और थायरॉयड के कारण भी सांस फूलती है। ये सारी ही बीमारियों हार्ट पर दबाव डालती हैं, इससे थकान और सांस लेना मुश्किल होता है।
ब्रोंकाइटीस या किसी प्रकार की एलर्जी भी सांस की तकलीफ का कारण बन सकती है। आप जिस वातावरण में हैं, उसके किसी पदार्थ से एलर्जी होने से आपके वायुमार्ग पर असर पड़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. सांस लेने में तकलीफ के अलावा आपको खांसी, घरघराहट और सीने में जकड़न भी महसूस हो सकती है।
अगर पेट गैस से फूला रहता है तो भी सांस फूल सकती हीै। कई बार लिवर की खराबी से पेट अत्यधिक फूल जाता है। इससे सांस लेने में भी दिक्कत होती है।