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गणेश चतुर्थी : गणेश जी की यह स्तुति है अद्भुत, गणनायक गजानन प्रसन्न होकर करते हैं सिद्ध सब काम

Ganesh Stuti Mantra : इस पावरफूल स्तुति के पाठ से गणेश जी प्रसन्न होकर सभी कार्यों को सिद्ध और सफल कर देते हैं। साल 2019 में गणेश चतुर्थी का पर्व 2 सितंबर को है।

Aug 29, 2019 / 11:14 am

Shyam

Ganesh Chaturthi 2019 : ganesh stuti mantra

गणेश चतुर्थी : गणेश जी की यह स्तुति है अद्भुत, गणनायक गजानन प्रसन्न होकर करते हैं सिद्ध सब काम

Ganesh Chaturthi 2019 : गणेश चतुर्थी एवं गणेश के पूरे 10 दिन तक भगवान अष्टविनायक श्रीगणेश जी के इन पावरफूल दिव्य मंत्रों का अर्थों सहित पाठ करने से गणनायक श्री गजानन जी जीवन के सभी श्रेष्ठ कार्यों में सहायक बन जाते हैं। गणेश जी प्रसन्न होकर सभी कार्यों को सिद्ध और सफल कर देते हैं। साल 2019 में गणेश चतुर्थी का पर्व 2 सितंबर को है।

1- वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा॥
भावार्थ- हे हाथी के जैसे विशालकाय जिसका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान है। बिना विघ्न के मेरा कार्य पूर्ण हो और सदा ही मेरे लिए शुभ हो ऐसी कामना करते हैं।

2- नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं।
गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च॥
भावार्थ- मैं उन भगवान् गजानन की वन्दना करता हूं, जो समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं, सुवर्ण तथा सूर्य के समान देदीप्यमान कान्ति से चमक रहे हैं। वे सर्पका यज्ञोपवीत धारण करते हैं, एकदन्त हैं, लम्बोदर हैं तथा कमल के आसनपर विराजमान हैं।

Ganesh Chaturthi 2019 : ganesh stuti mantra

3- एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
भावार्थ- जो एक दांत से सुशोभित हैं, विशाल शरीरवाले हैं, लम्बोदर हैं, गजानन हैं तथा जो विघ्नोंके विनाशकर्ता हैं, मैं उन दिव्य भगवान् हेरम्बको प्रणाम करता हूं।

 

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4- विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
भावार्थ- विघ्नेश्वर, वर देनेवाले, देवताओं को प्रिय, लम्बोदर, कलाओंसे परिपूर्ण, जगत् का हित करनेवाले, गजके समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वतीपुत्र को नमस्कार है; हे गणनाथ! आपको नमस्कार है।

 

Ganesh Chaturthi 2019 : ganesh stuti mantra

5- द्वविमौ ग्रसते भूमिः सर्पो बिलशयानिवं।
राजानं चाविरोद्धारं ब्राह्मणं चाप्रवासिनम्॥

भावार्थ- जिस प्रकार बिल में रहने वाले मेढक, चूहे आदि जीवों को सर्प खा जाता है, उसी प्रकार शत्रु का विरोध न करने वाले राजा और परदेस गमन से डरने वाले ब्राह्मण को यह समय खा जाता है।

 

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6- गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥

भावार्थ- जो हाथी के समान मुख वाले हैं, भूतगणादिसे सदा सेवित रहते हैं, कैथ तथा जामुन फल जिनके लिए प्रिय भोज्य है, पार्वती के पुत्र हैं तथा जो प्राणियों के शोक का विनाश करने वाले हैं, उन विघ्नेश्वर के चरणकमलों में नमस्कार करता हुं।

 

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7- रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्यरक्षकं।
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात्॥

भावार्थ- हे गणाध्यक्ष रक्षा कीजिए, रक्षा कीजिये। हे तीनों लोकों के रक्षक! रक्षा कीजिए; आप भक्तों को अभय प्रदान करने वाले हैं, भवसागर से मेरी रक्षा कीजिये।

 

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8- केयूरिणं हारकिरीटजुष्टं चतुर्भुजं पाशवराभयानिं।
सृणिं वहन्तं गणपं त्रिनेत्रं सचामरस्त्रीयुगलेन युक्तम्॥

भावार्थ- मैं उन भगवान् गणपतिकी वन्दना करता हूं जो केयूर-हार-किरीट आदि आभूषणों से सुसज्जित हैं, चतुर्भुज है और अपने चार हाथों में पाशा अंकुश-वर और अभय मुद्रा को धारण करते हैं, जो तीन नेत्रों वाले हैं, जिन्हें दो स्त्रियां चंवर डुलाती रहती है।

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Ganesh Chaturthi 2019 : ganesh stuti mantra

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