1- नौ दिनों में प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक कुल 24 हजार गायत्री महामंत्र का जप किया जाता हैं ।
2- प्रतिदिन 27 माला नियमित रूप से गायत्री महामंत्र की जपनी पड़ती हैं ।
3- अगर एक बार में 27 माला पूरी करना चाहते हैं तो सामान्यतः 3 घंटों एक दिन का जप पूरा हो जाता है ।
4- दिन में दो समय भी जप करके पूजा किया जा सकता हैं ।
5- जप को सूर्य़ोदय से 2 घंटे पहले शुरू करना चाहिए ( 4 बजे से 8 बजे तक का समय)
5- गायत्री मंत्र का जप तुलसी की माला से ही करना चाहिए ।
6- जप के समय कुशा के आसन का प्रयोग करें ।
7- नौ दिवस तक पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए ।
8- कोमल शैय्या का त्याग अर्थात् भूमि शयन या तख्त पर ही सोना चाहिए ।
9- अपनी शारीरिक सेवायें अपने हाथों करना । (अपने काम स्वंय ही करें )
10- हिंसा युक्त पदार्थों का त्याग, चमड़े की वस्तुओं का पूर्ण त्याग करें ।
11- जप का शताँश हवन भी करना चाहिए ।
12- पूर्णाहुति के बाद प्रसाद वितरण, कन्या भोज आदि अपनी सामर्थ्यानुसार उत्तम हैं ।
13- जो उपर्युक्त अनुष्ठान न कर सकते हों, तो वे 24 गायत्री चालीसा पाठ करके या 2400 गायत्री मंत्र लिखकर भी सरल अनुष्ठान कर सकते हैं ।
इस अवधि में उपवास के नियम का पालन कड़ाई से किया जाए, तो बेहतर है । उपवास कई स्तर का हो सकता है, फल-दूध, शाकाहार, खिचड़ी-दलिया आदि । मसाला इन दिनों छोड़ देना चाहिए । बिना नमक एवं शक्कर का भोजन भी एक प्रकार का उपवास ही है । अपनी शारीरिक एवं मानसिक स्थिति के अनुरूप उपवास का क्रम किया जा सकता हैं । इसके साथ ऊपर बताए गए नियमों का पालन किया जा सके, तो अति उत्तम है ।