scriptशरणस्थली बने चोखा घर में हुआ धोखा, आधा दर्जन बच्चों के साथ कारिंदे ने की जमकर मारपीट | Chokha Ghar, which was supposed to be a shelter, was cheated, half a dozen children were beaten up by the servant | Patrika News
क्राइम

शरणस्थली बने चोखा घर में हुआ धोखा, आधा दर्जन बच्चों के साथ कारिंदे ने की जमकर मारपीट

सभी बच्चों को राजकीय किशोर गृह में किया शिफ्ट

नागौरSep 25, 2024 / 08:17 pm

Sandeep Pandey

बुधवार की सुबह बच्चे पहुंचे एसपी ऑफिस, बताई व्यथा

कोतवाली थाने में मामला दर्ज,

एक्सपोज

नागौर. सिंगल पेरेंट या फिर अनाथ होने की मजबूरी कहें या बदले वक्त के चलते हिस्से में आई बदनसीबी। शरणस्थली पर ही बच्चे प्रताडऩा व मारपीट के शिकार हो गए। करीब आधा दर्जन बच्चों पर बालघर के एक कारिंदे ने कहर बरपाया। रोते-बिलखते ये मासूम स्कूल जाने के बजाय बुधवार को सीधे एसपी ऑफिस जा धमके। बाद में कोतवाली थाने में मामला दर्ज हुआ, साथ ही बाल कल्याण समिति, समाज कल्याण विभाग के जिम्मेदार भी सामने आए। इस बालघर के सभी बच्चों को राजकीय किशोर गृह में शिफ्ट कर दिया गया है। यह दर्दनाक दास्तां ग्रीनवेल चिल्ड्रन सोसायटी की ओर से संचालित चोखा-घर की है।
हुआ यूं की बुधवार सुबह करीब सात बजे आधा दर्जन बच्चे एसपी ऑफिस पहुंचे तो यहां कंट्रोल रूम में पवन रैगर समेत अन्य पुलिसकर्मी उन्हें मिले। सभी बच्चों की उम्र करीब नौ से बारह साल के बीच थी। इन्होंने बताया कि वो ग्रीनवेल चिल्ड्रन सोसायटी के शारदापुरम कॉलोनी स्थित चोखा घर में रहते हैं। इस हॉस्टल में मंगलवार की रात यहां के कार्मिक विजेंद्र भाटी ने उन्हें शारीरिक व मानसिक यातनाएं दी। बुरी तरह मारपीट कर उन्हें डराया धमकाया। उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए वे पुलिस कंट्रोल रूम आए हैं। चोखा घर में रहने वाले सभी 19-20 बच्चे राठौड़ी कुआं स्थित राजकीय उमा. विद्यालय में पढ़ते हैं।
एक साथ आधा दर्जन बच्चों के कंट्रोल रूम आने की सूचना एसपी नारायण टोगस को दी गई। एसपी ने मानव तस्करी विरोधी यूनिट के प्रभारी हरिराम समेत अन्य संबंधित पुलिस अफसरों को तुरंत कंट्रोल रूम पहुंचने को कहा। कुछ ही समय में कोतवाली सीआई समेत अन्य अफसर भी वहां आ गए। बच्चों से पूरा वाकया सुनकर उनके शरीर पर लगी चोटें देखी। किसी के हाथ पर तो किसी के गले पर गहरी चोट के निशान थे। बच्चे रो-रोकर अपनी पीड़ा बता रहे थे। इसके बाद एक टीम को सीधे चोखा घर रवाना किया गया तो दूसरी टीम इन बच्चों को लेकर कोतवाली थाने पहुंची।
मजबूरी ऐसी-ऐसी…

बच्चों की मजबूरी भी ऐसी कि जो सुने वो रो उठे। किसी के सिर से बाप का साया उठ गया तो मां ने दूसरी शादी कर ली। अब बुजुर्ग दादा उसके लालन-पोषण में असमर्थ है। किसी का पिता नहीं तो गरीब मां पढ़ाने में विवश थी, ऐसे में यहां ले आई। यह सोचकर कि रहने-खाने के साथ बच्चा पढ़ाई भी कर लेगा। बड़े सपनों के साथ घर वालों ने उन्हें यहां भेजा, करीब 19-20 बच्चे अभी वहां रहते हैं। बच्चों ने बताया कि विजेंद्र भाटी आए दिन उनसे मारपीट करता है।
बाल कल्याण समिति (सीडब्लूसी) टीम ने लिया एक्शन

सूत्रों ने बताया कि सीडब्लूसी के अध्यक्ष मनोज सोनी टीम के साथ चोखा घर पहुंचे और वहां की व्यवस्थाएं देखी। मौजूद बच्चों से बातकर असलियत जानी। इसके बाद उन्होंने उन आधा दर्जन समेत करीब पंद्रह बच्चों को राजकीय किशोर गृह में शिफ्ट करने के आदेश दिए।
भलाई के पीछे बुराई क्यों…

बताया जाता है कि यह रजिस्टर्ड एनजीओ है और सरकार से बच्चों के पालन-पोषण का इसे बजट मिलता है। इसके बाद भी यहां की व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग कभी किसी ने नहीं की। सरकारी अनुदान के अतिरिक्त अन्य भामाशाह भी यहां काफी सामग्री/सहायता दान करते हैं। कागजी तौर पर दर्ज सारी जानकारी सच्ची है, इसका भी कोई खास प्रमाण नहीं है। एनजीओ संचालन करने वालों की जिम्मेदारी क्या है? विजेंद्र कौन है? ऐसे कई सवालों के जवाब पुलिस खुद तलाश रही है।
इनका कहना

आधा दर्जन बच्चों के साथ बुरी तरह मारपीट करने वाले हॉस्टल के कर्मचारी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। बच्चों को प्रताडि़त करने में और कौन-कौन शामिल हैं, इसकी भी जांच की जा रही है।
-नारायण टोगस, एसपी नागौर

बच्चों के साथ इस तरह का अमानवीय व्यवहार शर्मनाक है। यहां रहने वाले सभी बच्चों को राजकीय किशोर गृह में शिफ्ट कर दिया है। इसकी शिकायत बड़े स्तर पर की जा रही है। ऐसे प्वॉइंटस की प्रोपर मॉनिटरिंग होनी चाहिए।
-मनोज सोनी, अध्यक्ष सीडब्लूसी नागौर

सरकार इसके लिए अनुदान देती है पर दो साल से बंद है। मैं तो बाहर गया हुआ था। विजेंद्र ने मारपीट की है। मैं तो कमेटी का सदस्य हूं, मैं कुछ नहीं देखता जो देखता है हेम सिंह ही देखता है।
-साहिबराम चौधरी, एनजीओ कमेटी का सदस्य

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