बताया जा रहा है कि डीएपी के लिए देशभर में हाहाकार मचा हुआ है। देश में 8 लाख मीट्रिक टन डीएपी की डिमांड है पर महज 1.2 लाख टन ही उपलब्ध है। यही कारण है कि किसानों को बहुत सीमित मात्रा में डीएपी मिल पा रही है।
यह भी पढ़ें : एमपी में बड़ी कार्रवाई, 12 साल पहले नौकरी पाने वाले 45 आरक्षकों को किया बर्खास्त मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री एंदल सिंह कंषाना के जिले मुरैना में 24,500 मीट्रिक टन डीएपी की डिमांड है। इसके मुकाबले किसानों के लिए महज 8,247 मीट्रिक टन डीएपी ही उपलब्ध है।
पिछल साल की तुलना में इस साल 3.51 लाख मीट्रिक टन डीएपी का भंडारण कम हुआ। इसकी पूर्ति करने के लिए एनपीके का 2.44 लाख मीट्रिक टन ज्यादा भंडारण किया गया। किसानों डीएपी की ही मांग कर रहे हैं। हालांकि कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि काम्प्लेक्स और एनपीके भी डीएपी का ही काम करता है लेकिन किसान इसका उपयोग करने में हिचक रहे हैं।
सागर के खुरई में डबल लॉक में डीएपी नहीं आने पर किसान अगस्त से ही परेशान हैं। किसानों ने बताया कि हर साल खरीफ सीजन में भरपूर डीएपी मिल जाता था लेकिन इस साल डीएपी नहीं आई। ऐसे में किसान रबी सीजन की फसल के लिए परेशान हो रहे हैं।