जानकारी के मुताबिक स्टेडियम नगर निवासी सुरेश वैश्य फल-सब्जी की ठेल लगाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करता है। उसने कुछ साल पहले ही स्टेडियम नगर में एक प्लॉट लेकर मकान बनाया था। सुरेश के तीन बेटियों के बाद एक बेटा हुआ। हितेश तीन बहनों का इकलौता भाई था। बीते दिन घर में श्राद्ध था। इसके चलते हितेश की ड्रेस धुल नहीं पाई थी। इस कारण वह सोमवार को स्कूल नहीं गया। वह सोमवार को घर पर मां-बहनों के साथ वह कमरे था। इस दौरान अचानक कमरे की सभी पट्टियां भरभराकर जा गिरीं। मलबे में मां-बेटे दब गए, जबकि बेटी कमरे से भाग निकली तो ऊपर से गिरे ईंट-पत्थर उछल कर उसे जा लगे, जिससे वह भी घायल हो गई।
विधायक ने आर्थिक सहायता के लिए सीएम को लिखा पत्र
भरतपुर के स्टेडियम नगर में मकान की पट्टियां टूटकर गिरने से मां- बेटा की मृत्यु होने और बच्ची के घायल होने की घटना पर विधायक डॉ. सुभाष गर्ग ने
मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पीड़ित परिवार को मुख्यमंत्री आपदा कोष से आर्थिक सहायता दिलवाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने आरबीएम अस्पताल के पीएमओ को उचित इलाज का प्रबंध करने के निर्देश दिए। वहीं विधायक ने पीड़ित परिवार को सांत्वना दी।
मां-बेटे की मौत, बेटी गंभीर घायल
लोहागढ़ स्टेडियम के पीछे नगर निगम के वार्ड संख्या 7 स्थित स्टेडियम नगर में सोमवार सुबह मकान की पट्टियां गिरने से मलबे में दबने के कारण मां व उसके इकलौते बेटे की मौत हो गई, जबकि एक पुत्री गंभीर रूप से घायल हो गई। पूर्व पार्षद समंदर सिंह जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंचे और नगर निगम की टीम को मौके पर बुलाया। वहीं निजी स्कूल निदेशक वीरेंद्र चौधरी, पूर्व जिला खेल अधिकारी सत्य प्रकाश लुहाच और अन्य पड़ोस के लोगों ने मलबे में दबे लोगों को बाहर निकलवाया। हादसे में सुरेश चंद वैश्य की पत्नी 35 वर्षीय रीना एवं 11 वर्षीय बेटा हितेश की मौत हो गई, जबकि 13 साल की बेटी वर्षा गंभीर रूप से घायल हो गई, जिन्हें तत्काल जिला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां वर्षा का उपचार चल रहा है। पुलिस ने मृतका रीना और हितेश के शव को पोस्टमार्टम कार्रवाई के बाद परिजनों को सौंप दिया।
पास ही बन रहा था भाई का मकान
बताया जा रहा है कि सुरेश के घर निकट में ही उसका भाई अपने मकान में निर्माण कार्य करा रहा है। लोगों का कहना है कि शायद वहां चल रहे निर्माण कार्य की धमक से सुरेश के कमरे की पट्टियां गिर गईं। इधर हादसे के बाद परिवार व रिश्तेदार लोगों का रो-रोकर बुरा हाल है।