गृहकर बिलों में बढ़ रहे गड़बड़ी के मामले नगर निगम की ओर से गृहकर के बिलों में गड़बड़ियों के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ताज़ा मामला यह है कि कुछ आवासीय भवनों को, केवल वहां शटर लगे होने के कारण, व्यावसायिक संपत्ति माना गया है। रूहेलखंड उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार मेहरोत्रा ने बताया कि नगर निगम के कर्मचारी, जिन घरों में शटर लगे होते हैं, उन्हें व्यावसायिक मान लेते हैं, भले ही वहां किसी प्रकार का व्यावसायिक कार्य न हो रहा हो। कई लोग शटर वाले हिस्से को गैराज या स्टोर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन इसे व्यवसायिक रूप देकर भारी-भरकम बिल भेजे जा रहे हैं।
गलत तरीके से मापा गया क्षेत्रफल बिहारीपुर मेमरान निवासी पूनम टंडन ने शिकायत की है कि उनके मकान के मुख्य द्वार पर शटर होने की वजह से इसे व्यावसायिक संपत्ति मानकर गृहकर का बिल भेजा गया है। पूनम का कहना है कि उनके मकान का क्षेत्रफल भी गलत तरीके से मापा गया है और इसे वास्तविक से ज्यादा दिखाया गया है, जिससे बिल में भी अनावश्यक वृद्धि हो गई है। इसी तरह प्रेमनगर कानून गोयान की निवासी सवाज कौर के मकान को भी मिश्रित संपत्ति (मिश्रित उपयोग वाली संपत्ति) के रूप में दिखाकर अधिक बिल भेजा गया है।
राजकुमार मेहरोत्रा ने मांग की है कि केवल शटर के आधार पर करदाताओं को परेशान न किया जाए और यदि शटर घरेलू उपयोग के लिए है, तो इसे आवासीय संपत्ति ही माना जाए। इस मामले पर मुख्य कर निर्धारण अधिकारी प्रदीप कुमार मिश्र ने कहा कि ऐसी शिकायतों की जांच की जा रही है। यदि भवन स्वामी ने आपत्ति दर्ज कराई है, तो संबंधित टैक्स टीम को उसका निस्तारण करने के निर्देश दिए गए हैं।