दोषी पाए गए अधिकारी और कर्मी: एनएचएआई के तत्कालीन परियोजना निदेशक एआर चित्रांशी और बीपी पाठक को परिसंपत्तियों के गलत मूल्यांकन के लिए दोषी ठहराया गया है। साथ ही, साइट इंजीनियर पीयूष जैन और पारस त्यागी को संयुक्त सर्वे और मूल्यांकन में गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार माना गया है। साईं सिस्ट्रा ग्रुप और एसए इन्फ्रास्ट्रक्चर कंसल्टेंसी लिमिटेड के अधिकारियों उजैर अख्तर, राजीव कुमार, और सुनील कुमार पर भी घोटाले में शामिल होने का आरोप है। इसी तरह, वैल्यूअर रविंद्र गंगवार और सुरेश कुमार गर्ग पर भी दोषी ठहराया गया है। वहीं, पीलीभीत के उगनपुर के तत्कालीन लेखपाल मुकेश कुमार मिश्रा, अमरिया के विनय कुमार और दिनेश चंद्र, हुसैननगर के आलोक कुमार, तथा अन्य लेखपालों और अमीनों को भी गड़बड़ी में शामिल पाया गया है।
भूमि खरीद घोटाले में 19 बाहरी लोगों के नाम भी सामने आए: रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि बाहर से आए 19 लोगों ने हाईवे के रूट में आने वाली भूमि को पहले से खरीद लिया था। जांच में पाया गया कि इन व्यक्तियों को हाईवे के एलाइनमेंट की जानकारी परियोजना से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों से मिली थी, और उन्होंने संगठित रूप से व्यक्तिगत वित्तीय लाभ के लिए शासकीय धन का दुरुपयोग किया।
विशेषज्ञ जांच की सिफारिश: कमिश्नर मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल ने अपनी रिपोर्ट में इस मामले की गहन जांच के लिए विशेषज्ञ एजेंसी की नियुक्ति की सिफारिश की है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह आश्चर्यजनक है कि लोगों ने बिना किसी जानकारी के वही जमीन खरीदी जो एलाइनमेंट में थी, जिससे यह स्पष्ट है कि परियोजना से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी इस घोटाले में शामिल थे।
डीएम की रिपोर्ट: 13 कर्मचारी दोषी इससे पहले, डीएम बरेली रविंद्र कुमार की जांच रिपोर्ट में 13 अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी पाया गया था, जिनमें से पांच को निलंबित किया जा चुका है। इन अधिकारियों में भूमि अध्याप्ति अधिकारी आशीष कुमार और पूर्व अधिकारी मदन कुमार का नाम प्रमुख था। इन पर अधिक मुआवजा प्राप्त करने के लिए संदिग्ध तरीके से जमीन खरीदने के आरोप लगे थे। इस भूमि अधिग्रहण घोटाले में लगातार नए नाम सामने आ रहे हैं, और घोटाले की जांच आगे भी जारी रहेगी।