उमेश मेनारिया मेनार ( उदयपुर) . अनजान रास्तों में किसी तरह की दिक्कत न हो, इसके लिए हम अक्सर गूगल मैप्स का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन मेनार में पर्यटक को गूगल मैप्स पर ‘भरोसा’ उस समय भारी पड़ गया, जब वह ऐसी जगह में फंस गए जहां से निकलना मुश्किल भरा था। गूगल मैप्स के सहारे चल रहे इन पर्यटकों को मैप्स ने ऐसे सिंगल रूट में आगे बढ़ा दिया, जो कीचड़ से भरा था और उस रूट से वापस लौटना मुमकिन नहीं था। इन रास्ते में इनकी गाड़ी घंटों तक फंसी रहीं ।
मामला बर्ड विलेज मेनार का है। असल में बर्ड विलेज मेनार पर पक्षी दर्शन और शिव प्रतिमा देखने के लिए जर्मनी और उत्तराखंड के पर्यटक उदयपुर के बाद गेरी, नेश और रितेश शर्मा उदयपुर से मेनार आने के लिए सिक्स लेन नवानिया हाइवे पहुँचे थे कि इन पर्यटकों को गूगल मैप्स ने वैकल्पिक रूट नवानिया से ही दे दिया। गूगल मैप्स ने इस रूट के जरिए मेनार पहुंचने का टाइम भी मेन रूट के मुकाबले कम दिखाया। गूगल मैप्स पर भरोसा करके ये वैकल्पिक रास्ते में बढ़ गए शुरुआत में वैकल्पिक रास्ता ठीक था, लेकिन कुछ किलोमीटर बाद कीचड़ भरे रास्ते की शुरुआत हो गई।
आलम ये हो गया कि कार अलग-अलग स्लाइड करने लगीं। चूंकि, यह सिंगल रूट था जो मेनार और खेरोदा माल क्षेत्र का खेती वाला चिकनी दोमट मिट्टी वाला इलाका था जो सिर्फ बारिश के अलावा महीनों में किसान करते है । जिस रास्ते ट्रेक्टर भी बमुश्किल निकलते है। इसलिए कार का वापस लौटना भी संभव नहीं हो पा रहा था। इसमें मिलने वाले कुछ मित्रों नेपक्षी मित्रो को सूचना दी वे मौके पर ट्रेक्टर और रस्सियां लेके पहुँचे और कड़ी मशक्कत के बाद करीब 2 घण्टे बाद ट्रेक्टर से बांदकर निकाला। कीचड़ भरे रास्ते पर मेनार के जगदीश मेनारिया , अजय मेरावत और खेरोदा के बद्री लाल जणवा , भेरू लाल जणवा ने ट्रेक्टर की मदद से इनकी कार को बाहर निकाला और मुख्य मार्ग पर लाए।
दोपहर 1 बजे फंसे , शाम को 6 बजे निकली कार मेनार आने वाले ये पर्यटक दोपहर में 1 बजे करीब इस अनजान रास्ते पर फंसे थे आसपास कोई व्यक्ति भी नजर नही आ रहा था ऐसे में ये चलकर 2 किमी एक दूसरे कच्चे रास्ते पर पहुँचे । ये ऐसी जगह पर फंसे जंहा इनको ढूंढने वाले भी ट्रेक्टर से पहुँचे । आस पास का 4 5 किमी क्षेत्र खेती जमीन का था ।
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