जीपीएस सिस्टम लगने के बाद अधिकारी एप के माध्यम से ही बसों की गति की जानकारी भी प्राप्त कर सकेंगे। बस ओवर स्पीड होगी तो उसकी जानकारी भी एप से मिल जाएगी। चालक की ओर से बस को नियत गति से चलाने से ईंधन की बचत होगी। इसके साथ ही चालक की स्किल को मापने में भी मदद मिलेगी।
-ओवरस्पीड का पता चलने पर चालक के खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी -बस किसी स्टैंड पर नहीं जा रही है उसका पता चल सकेगा -किसी महिला यात्री के साथ छेड़छाड़ की घटना का पता लगने पर तुरंत संबंधित थाने की पुलिस पहुंच सकेगी।
रोडवेज की 2000 बसों में जीपीएस लगाने का काम चल रहा है। जीपीएस लगाने से यात्री ऐप पर देख सकेंगे कि आसपास कितनी रोडवेज बसों का संचालन हो रहा है। जिस बस का टिकट यात्री ने बुक किया है, वह बस कितनी देर में बस स्टैंड पर आएगी और कहां पर हैं। किस रूट पर चल रही है। इससे यात्रियों के समय की बचत होगी और यात्री बसों के समय के हिसाब से बस स्टैंड पर पहुंच सकेंगे।
वर्तमान में प्रदेश में रोडवेज की कुल 2800 बसें है। इनमें से दो हजार बसों में जीपीएस लगाया जाना था। इसके तहत विभिन्न चरणों में अप्रेल अंत तक सभी बसों में प्रक्रिया पूरी करनी थी। श्रीगंगानगर डिपो की करीब 98 बसों में जीपीएस लगाया जाना है, लेकिन फिलहाल नहीं लग पाया।