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सिरोही

जलियांवाला बाग से कम नहीं राजस्थान का लिलुडी बडली का गोलीकांड… 1800 लोग गोलियों के हुए थे शिकार

ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पंजाब के जलियांवालाबाग में 1919 में हुए गोलीकांड के जैसा ही हत्याकांड एवं अग्निकांड सिरोही जिले के रोहिड़ा क्षेत्र के लिलुड़ी बडली निकट ग्राम भूला नामक स्थान पर घटित हुआ था।

सिरोहीMay 06, 2024 / 02:06 pm

Kirti Verma

ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पंजाब के जलियांवालाबाग में 1919 में हुए गोलीकांड के जैसा ही हत्याकांड एवं अग्निकांड सिरोही जिले के रोहिड़ा क्षेत्र के लिलुडी बडली निकट ग्राम भूला नामक स्थान पर घटित हुआ था। इस अग्निकांड के शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। इतिहासकार डॉक्टर उदयसिंह डिंगार के अनुसार ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सिरोही राज्य के भूला वालोरिया समेत क्षेत्र के आदिवासियों द्वारा भूला ग्राम के निकट लिलुडी बडली नामक स्थान पर 5 मई 1922 को एकत्रित होकर स्वतंत्रता संघर्ष के लिए आंदोलन की रणनीति बनाई जा रही थी। आदिवासियों के इस भारी भीड़ के एकत्र होने एवं आंदोलन की सूचना ब्रिटिश छावनी एरिनपुरा शिवगंज को प्राप्त होने पर वहां के मेजर प्रिचर्ड के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना द्वारा 6 मई 1922 ई को भूला वालोरिया के क्षेत्र समेत लिलुड़ी बड़ली नामक आदिवासियों के इस आंदोलन स्थल को घेर लिया गया । ब्रिटिश सेना द्वारा आदिवासियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई गई एवं क्षेत्र को आग के हवाले कर दिया गया ।

गोलीकांड में 1800 लोग गोलियों के हुए थे शिकार
बी एन ढोंढीयाल रचित सिरोही गजेटियर्स के अनुसार इस हृदय विदारक गोलीकांड में 1800 लोग गोलियों के शिकार हुए, जिसमें पुरुषों के साथ स्त्रिया एवं मासूम बच्चे भी शामिल थे। इसी के साथ ब्रिटिश सेना द्वारा क्षेत्र में अग्निकांड की जघन्य घटनाक्रम को अंजाम देने से 640 घरों के जलने, 7085 मन अनाज को जलाने या लूटने, 600 गाड़ी घास जलने, 108 पशुओं के मारे जाने समेत लूटमार की मानवता को कलंकित करने वाली यह वीभत्स घटना घटित हुई।
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सैकड़ों आदिवासियों के इस गुमनाम, लहूलुहान, रोंगटे खड़े करने वाली शहादत को आज 102 साल पूरे हो गए है, अर्थात 103वां उन शहीदों का बलिदान दिवस है। इतिहास में आदिवासियों के इस आजादी के आन्दोलन में हुए लहूलुहान बलिदान एवं शहादत को उचित स्थान नहीं मिला। आदिवासियो के आजादी के आन्दोलन में हुए भारी नरसहार शहादत एवं आगजनी की यह घटना उनके लोकगीतों में समाहित है ।

भूलू ने वालोरियू…भूलूं गोम बेले रे… धोमो भाईयो… धोमजो…गोरों गोला झीके रे… भूलूं बेले… भूलूं बेले… भूलूं गोम बेले रे…आज लिलूडी बडली नामक स्थान पर शहीद स्मारक बनाया जा रहा है

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