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खुद ‘दिव्यांग’ था…फिर भी दो जनों की जिंदगी कर गया रोशन

सकी जिंदगी में कुछ कमी सी रही! प्रकृति ने अपूर्ण रखा! बचपन से ही विकलांगता का अभिशाप ढोता रहा! बावजूद इसके बेहतर पढ़ाई की! अच्छी डिग्रियां हासिल की…

सीकरMay 03, 2024 / 04:10 pm

Kamlesh Sharma

Prabhudayal Saini
खंडेला (सीकर)। उसकी जिंदगी में कुछ कमी सी रही! प्रकृति ने अपूर्ण रखा! बचपन से ही विकलांगता का अभिशाप ढोता रहा! बावजूद इसके बेहतर पढ़ाई की! अच्छी डिग्रियां हासिल की…लेकिन नौकरी नहीं मिली। इसी बीच हार्ट में भी दिक्कत हो गई। 33 साल की युवावस्था में निधन! खुद की जिंदगी अंधेरे से घिरी रही, लेकिन बावजूद इसके वह अपनी आंखें दान कर दो लोगों का जीवन रोशन कर गया।
मामला खंडेला क्षेत्र के रामपुरा गांव का है। यहां के प्रभुदयाल सैनी ने अपने 33 वर्षीय बेटे की मौत होने के बाद उसकी आंखें दान करवाकर दो लोगों को रोशनी दी है। मृतक रामसिंह बचपन से ही विकलांग था। बीए-बीएड तक पढ़ाई करने के बाद सरकारी नौकरी की आस लगाए रहा पर काफी प्रयासों के बाद भी नौकरी नहीं मिल पाई।
सरकारी नौकरी नहीं लगने पर उसने गांव में ही छोटी सी किराणा की दुकान चलाकर जीवन यापन करने लगा। वह करीब पांच वर्ष से वह हृदय की बीमारी से ग्रसित था और उनका इलाज चल रहा था। आखिर रामसिंह बीमारी से जंग हार गया और एक मई को जयपुर में एसएमएस अस्पताल में उसका निधन हो गया। इसके बाद परिजनों ने समय रहते अपने बेटे की आंखों को दान करवा दिया।

पिता भी असहाय, लेकिन जज्बा बरकरार


रामसिंह के पांच भाई-बहन है। उनके पिता लकवा रोग से ग्रसित हैं जो घर पर ही रहते हैं। इसके बाद भी उनका जज्बा देखने लायक है। माता-पिता का कहना है कि उनका बेटा इस दुनिया में नहीं रहा, लेकिन उसकी आंखें इस संसार को देखती रहेगी। परिजनों व ग्रामीणों ने बताया कि रामसिंह की पहले से ही इच्छा थी कि उसके मरने के बाद उसकी आंखें किसी को दान की जाए, जिससे मरने के बाद भी उसकी आंखों से दो लोग दुनिया देख सके।

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