मामला खंडेला क्षेत्र के रामपुरा गांव का है। यहां के प्रभुदयाल सैनी ने अपने 33 वर्षीय बेटे की मौत होने के बाद उसकी आंखें दान करवाकर दो लोगों को रोशनी दी है। मृतक रामसिंह बचपन से ही विकलांग था। बीए-बीएड तक पढ़ाई करने के बाद सरकारी नौकरी की आस लगाए रहा पर काफी प्रयासों के बाद भी नौकरी नहीं मिल पाई।
सरकारी नौकरी नहीं लगने पर उसने गांव में ही छोटी सी किराणा की दुकान चलाकर जीवन यापन करने लगा। वह करीब पांच वर्ष से वह हृदय की बीमारी से ग्रसित था और उनका इलाज चल रहा था। आखिर रामसिंह बीमारी से जंग हार गया और एक मई को जयपुर में एसएमएस अस्पताल में उसका निधन हो गया। इसके बाद परिजनों ने समय रहते अपने बेटे की आंखों को दान करवा दिया।
पिता भी असहाय, लेकिन जज्बा बरकरार
रामसिंह के पांच भाई-बहन है। उनके पिता लकवा रोग से ग्रसित हैं जो घर पर ही रहते हैं। इसके बाद भी उनका जज्बा देखने लायक है। माता-पिता का कहना है कि उनका बेटा इस दुनिया में नहीं रहा, लेकिन उसकी आंखें इस संसार को देखती रहेगी। परिजनों व ग्रामीणों ने बताया कि रामसिंह की पहले से ही इच्छा थी कि उसके मरने के बाद उसकी आंखें किसी को दान की जाए, जिससे मरने के बाद भी उसकी आंखों से दो लोग दुनिया देख सके।