पांच साल पहले जयपुर को 110 करोड़ का बिजनेस मिला संजॉय ने कहा कि पांच साल पहले हमने एक सर्वे करवाया था, जिसमें पता चला था कि इस फेस्टिवल के चलते जयपुर में विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 110 करोड़ का व्यापार हुआ था। इसके चलते हजारो को रोजगार मिला। कोरोना के बाद िस्थतियां बदल गई है, ऐसे में जेएलएफ से फिर जयपुर के लोगों को उम्मीदें बनी है। ऐसे में हमने इसे वृहद स्तर पर ही प्लान किया है। ऑनग्राउंड पर लगभग 250 से ज्यादा राइटर्स हिस्सा लेंगे।
जेएलएफ का यह 15वां आयोजन संजॉय ने बताया कि 2001 में जॉन दा और फेत सिंह जी ने इस फेस्टिवल की नींव डाली थी, इसके बाद हमें इसे दुनियाभर के लोगों तक पहुंचाने के लिए जोड़ा गया। आज यह न केवल जयपुर बल्कि दुनिया के कई बड़े शहरों में अपनी चमक बिखेर रहा है। जल्द ही कुछ नए देशों में इसका आयोजन करने वाले हैं।
डॉ. परीक्षित अपनी पुस्तक पर करेंगे चर्चा जेएलएफ में एक सेशन में लेखक डॉ. परीक्षित सिंह और डॉ. मकरंद परांजपे और मालाश्री लाल के साथ चर्चा करते दिखेंगे। इस बातचीमें परीक्षित सिंह की हालही में जारी पुस्तक श्रीओरोबिंदो एंड द लिटरेरी रेनेसांस ऑफ इंडिया पर होगी। परांजपेय ने कहा कि ओरोबिंदों पर कई लेखकाें ने पुस्तक लिखी, लेकिन परीक्षित सिंह जितना व्यापक प्रयास किसी ने किया। पुस्तक के आठ भाग है, विभिन्न विषयों को अलग अंदाज में प्रस्तुत किया है।
राजस्थानी भाषा में भी होंगे सेशन इस बार राजस्थारी भाषा और स्थानीय बोलियों पर भी चर्चा होगी। एक सत्र में कवि और साहित्यकार चन्द्र प्रकाश देवल राजस्थान की भाषाओँ, साहित्य, कविता और संगीत पर अपने विचार रखेंगे, उनके साथ लेखिका और कवयित्री अनुकृति उपाध्याय चर्चा करेंगी। एक सत्र ट्रेजर एट द जयपुर कोर्ट में लेखिका वंदना भंडारी और इतिहासकार गिल्स तिलोत्सों के साथ संवाद में इतिहासकार रीमा हूजा बात करेंगी। एक सत्र में इतिहासकार यशस्वनी चंद्रा और रीमा हूजा महान योद्धा महाराणा प्रताप और उनके घोड़े चेतक के बारे में कुछ और अनसुनी कहानियां सुनाएंगी|