PATRIKA OPINION राजनीतिक दल नेताओं के लिए बनाएं आचरण संहिता
सार्वजनिक जीवन में रहने वालों के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे अपना दामन पाक-साफ रखें। यह इसलिए भी कि लोग उनसे आदर्श आचरण की उम्मीद करते हैं।
महिलाओं के यौन उत्पीडऩ के आरोपों से घिरे प्रज्वल रेवन्ना को जनता दल-एस से निलम्बित कर दिया गया है। यह फैसला करना पार्टी के लिए जरूरी भी हो गया था। रेवन्ना पर लगे आरोप इतने गंभीर हैं कि पार्टी से रेवन्ना के निलम्बन की यह कार्रवाई नाकाफी लगती है। हैरानी इस बात पर है कि चरित्र पर उठ रहे सवालों से अवगत होने के बावजूद पार्टी ने इस बार भी सांसद रेवन्ना को लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दे दिया। जाहिर है, पार्टी के स्तर पर इस प्रकरण को इसलिए भी दबाने के प्रयास हुए होंगे, क्योंकि प्रकरण हाई प्रोफाइल राजनीतिक परिवार से जुड़ा हुआ है।
रेवन्ना पर लगे आरोपों की जांच के लिए राज्य सरकार ने विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन कर दिया है। प्रज्वल के चाचा और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमार स्वामी ने भी जांच का स्वागत करते हुए इस प्रकरण में किसी के बचाव के प्रयासों से इनकार किया है। उनका कहना है कि कानून अपना काम करेगा। सवाल यह है कि यदि पार्टी में किसी भी स्तर पर प्रज्वल पर लगे आरोपों की जानकारी थी तो फिर देश की सबसे बड़ी पंचायत के लिए पार्टी प्रत्याशी बनाने पर किसी ने सवाल क्यों नहीं खड़े गए। यह बात सही है कि ऐसे मामलों में किसी का बचाव करना राजनीतिक दलों के लिए काफी मुश्किल है। खास तौर से चुनावों के मौके पर बचाव करने वाले दल व नेताओं के खिलाफ मामला उलटा पड़ सकता है। इसीलिए सभी तरफ से नेताओं के बयान सधे हुए ही सामने आ रहे हैं। चुनावों में मौके पर राजनेताओं के चरित्र पर अंगुलि उठने के उदाहरण यों तो पहले भी आते रहे हैं, लेकिन प्रकरण जगजाहिर होने के बाद खुद रेवन्ना का देश से बाहर चले जाना भी संदेह को जन्म देता है।
हमारे देश में सुखद पहलू यह है कि कानून के सामने हर कोई समान है, लेकिन कई बार दबाव के कारण जांच प्रक्रिया को दूसरी दिशा में पहुंचाने का काम भी होने लगता है। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौडा के पोते प्रज्वल को भी स्वदेश आने के लिए बाध्य करना होगा ताकि जांच तत्परता से हो सके। यह महिला सुरक्षा से जुड़ा मामला है। इसलिए मामले की जांच में किसी तरह की ढिलाई नहीं होनी चाहिए। सार्वजनिक जीवन में रहने वालों के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे अपना दामन पाक-साफ रखें। यह इसलिए भी कि लोग उनसे आदर्श आचरण की उम्मीद करते हैं। लेकिन, चिंता इस बात की है कि सार्वजनिक मंचों पर महिलाओं के सम्मान की रक्षा का दावा करने के साथ-साथ महिला उत्पीडऩ के मामलों में दूसरे नेताओं को घेरने वाले नेता भी नारी उत्पीडऩ के आरोपों से घिरते रहे हैं। राजनीतिक दलों को नेताओं के लिए भी आचरण संहिता बनानी होगी और गलत आचरण वाले नेताओं से दूरी बनानी होगी।
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