भगवान श्रीगणेश का ध्यान करते ही हमारे सामने लम्बी सूंड, बड़ी आँखें, बड़े कान, सुनहरा सिन्दूरी वर्ण लिए उनका पवित्र स्वरूप दिखाई देता है। किसी भी शुभ कार्य के लिए बुद्धिदाता भगवान श्री गणेश के नाम स्मरण से ही शुरुआत की जाती है।
आज हम गणेशजी की एक ऐसी ही पूजा बता रहे है जिसे बुधवार को करने से समस्त कार्य पूर्ण होते हैं और कुंडली में प्रतिकूल चल रहे ग्रहों का भी प्रकोप शांत होता है। आवश्यक पूजन सामग्री शुद्ध जल, गंगाजल, सिन्दूर, रोली, रक्षा, कपूर, घी, दही, दूब, चीनी, पुष्प, पान, सुपारी, रूई, प्रसाद (लड्डू गणेश जी को बहुत प्रिय है)।
ऐसे करे गणेशजी का पूजन प्रातः काल शुद्ध होकर गणेशजी के सम्मुख बैठ कर ध्यान करें और पुष्प, रोली, चावल आदि चीजों से पूजन करें और विशेष रूप से सिन्दूर चढ़ाएं तथा दूर्बा दल (11 या 21 दूब का अंकुर) समर्पित करें। गणेश जी का चित्र/ प्रतिमा सामने रखकर और श्रद्धा पूर्वक उस पर पुष्प छोड़े यदि मूर्ती न हो तो सुपारी पर मौली लपेटकर चावल पर स्थापित करें और आवाहन मंत्र पढकर अक्षत डालें।
इसके बाद श्लोक “शुक्लाम्बर धरं विष्णुं शशि वर्णम् चतुर्भुजम्, प्रसन्न वदनं ध्यायेत् सर्व विघ्नोपशान्तये..” का ध्यान करते हुए गणेशजी का षोड़शोपचार पूजन करें। षोडशोपचार पूजन के मंत्र निम्न प्रकार हैं-
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
इसके बाद अगरबत्ती और दीप जलाएं और नीचे लिखे सरल मंत्रों का मन ही मन 11, 21 या अधिक बार जप करें। जप करने के पश्चात प्रसाद में फल और मीठा चढ़ाएं (मीठे में गणेश जी को मूंग के लड्डू प्रिय हैं)। मंत्र निम्न प्रकार हैं-
ॐ चतुराय नम:
ॐ गजाननाय नम:
ॐ विघ्रराजाय नम:
ॐ प्रसन्नात्मने नम:
पूजा और मंत्र जप के बाद गणेशजी की आरती करें। तत्पश्चात आसन पर बैठ कर एकाग्रचित होकर नीचे दिए मंत्रों का जप करें।
ॐ गणपतये नमः॥ ॐ गणेश्वराय नमः॥ ॐ गणक्रीडाय नमः॥ ॐ गणनाथाय नमः॥ ॐ गणाधिपाय नमः॥ ॐ एकदंष्ट्राय नमः॥ ॐ वक्रतुण्डाय नमः॥ ॐ गजवक्त्राय नमः॥ ॐ मदोदराय नमः॥ ॐ लम्बोदराय नमः॥ ॐ धूम्रवर्णाय नमः॥ ॐ विकटाय नमः॥ ॐ विघ्ननायकाय नमः॥ ॐ सुमुखाय नमः॥ ॐ दुर्मुखाय नमः॥ ॐ बुद्धाय नमः॥ ॐ विघ्नराजाय नमः॥ ॐ गजाननाय नमः॥ ॐ भीमाय नमः॥ ॐ प्रमोदाय नमः॥ ॐ आनन्दाय नमः॥ ॐ सुरानन्दाय नमः॥ ॐ मदोत्कटाय नमः॥ ॐ हेरम्बाय नमः॥ ॐ शम्बराय नमः॥ ॐ शम्भवे नमः॥ ॐ लम्बकर्णाय नमः॥ ॐ महाबलाय नमः॥ ॐ नन्दनाय नमः॥ ॐ अलम्पटाय नमः॥ ॐ भीमाय नमः॥ ॐ मेघनादाय नमः॥ ॐ गणञ्जयाय नमः॥ ॐ विनायकाय नमः॥ ॐ विरूपाक्षाय नमः॥ ॐ धीराय नमः॥ ॐ शूराय नमः॥ ॐ वरप्रदाय नमः॥ ॐ महागणपतये नमः॥ ॐ बुद्धिप्रियायनमः॥ ॐ क्षिप्रप्रसादनाय नमः॥ ॐ रुद्रप्रियाय नमः॥ ॐ गणाध्यक्षाय नमः॥ ॐ उमापुत्राय नमः॥ ॐ अघनाशनायनमः॥ ॐ कुमारगुरवे नमः॥ ॐ ईशानपुत्राय नमः॥ ॐ मूषकवाहनाय नः॥ ॐ सिद्धिप्रदाय नमः॥ ॐ सिद्धिपतयेनमः॥ ॐ सिद्ध्यै नमः॥ ॐ सिद्धिविनायकाय नमः॥ ॐ विघ्नाय नमः॥ ॐ तुङ्गभुजाय नमः॥ ॐ सिंहवाहनायनमः॥ ॐ मोहिनीप्रियाय नमः॥ ॐ कटिंकटाय नमः॥ ॐ राजपुत्राय नमः॥ ॐ शकलाय नमः॥ ॐ सम्मिताय नमः॥ ॐ अमिताय नमः॥ ॐ कूश्माण्डगणसम्भूताय नमः॥ ॐ दुर्जयाय नमः॥ ॐ धूर्जयाय नमः॥ ॐ अजयाय नमः॥ ॐ भूपतये नमः॥ ॐ भुवनेशाय नमः॥ ॐ भूतानां पतये नमः॥ ॐ अव्ययाय नमः॥ ॐ विश्वकर्त्रे नमः॥ ॐ विश्वमुखाय नमः॥ ॐ विश्वरूपाय नमः॥ ॐ निधये नमः॥ ॐ घृणये नमः॥ ॐ कवये नमः॥ ॐ कवीनामृषभाय नमः॥ ॐ ब्रह्मण्याय नमः॥ ॐ ब्रह्मणस्पतये नमः॥ ॐ ज्येष्ठराजाय नमः॥ ॐ निधिपतये नमः॥ ॐ निधिप्रियपतिप्रियाय नमः॥ ॐ हिरण्मयपुरान्तस्थायनमः॥ ॐ सूर्यमण्डलमध्यगाय नमः॥ ॐ कराहतिध्वस्तसिन्धुसलिलाय नमः॥ ॐ पूषदन्तभृतेनमः॥ ॐ उमाङ्गकेळिकुतुकिने नमः॥ ॐ मुक्तिदाय नमः॥ ॐ कुलपालकाय नमः॥ ॐ किरीटिने नमः॥ ॐ कुण्डलिने नमः॥ ॐ हारिणे नमः॥ ॐ वनमालिने नमः॥ ॐ मनोमयाय नमः॥ ॐ वैमुख्यहतदृश्यश्रियै नमः॥ ॐ पादाहत्याजितक्षितयेनमः॥ ॐ सद्योजाताय नमः॥ ॐ स्वर्णभुजाय नमः॥ ॐ मेखलिन नमः॥ ॐ दुर्निमित्तहृते नमः॥ ॐ दुस्स्वप्नहृते नमः॥ ॐ प्रहसनाय नमः॥ ॐ गुणिनेनमः॥ ॐ नादप्रतिष्ठिताय नमः॥ ॐ सुरूपाय नमः॥ ॐ सर्वनेत्राधिवासाय नमः॥ ॐ वीरासनाश्रयाय नमः॥ ॐ पीताम्बराय नमः॥ ॐ खड्गधराय नमः॥ ॐ खण्डेन्दुकृतशेखराय नमः॥ ॐ चित्राङ्कश्यामदशनायनमः॥ ॐ फालचन्द्राय नमः॥ ॐ चतुर्भुजाय नमः॥ ॐ योगाधिपाय नमः॥ ॐ तारकस्थाय नमः॥ ॐ पुरुषाय नमः॥ ॐ गजकर्णकाय नमः॥ ॐ गणाधिराजाय नमः॥ ॐ विजयस्थिराय नमः॥ ॐ गणपतये नमः॥ ॐ ध्वजिने नमः॥ ॐ देवदेवाय नमः॥ ॐ स्मरप्राणदीपकाय नमः॥ ॐ वायुकीलकायनमः॥ ॐ विपश्चिद्वरदाय नमः॥ ॐ नादाय नमः॥ ॐ नादभिन्नवलाहकाय नमः॥ ॐ वराहवदनाय नमः॥ ॐ मृत्युञ्जयाय नमः॥ ॐ व्याघ्राजिनाम्बराय नमः॥ ॐ इच्छाशक्तिधराय नमः॥ ॐ देवत्रात्रे नमः॥ ॐ दैत्यविमर्दनाय नमः॥ ॐ शम्भुवक्त्रोद्भवाय नमः॥ ॐ शम्भुकोपघ्ने नमः॥ ॐ शम्भुहास्यभुवे नमः॥ ॐ शम्भुतेजसे नमः॥ ॐ शिवाशोकहारिणे नमः॥ ॐ गौरीसुखावहाय नमः॥ ॐ उमाङ्गमलजाय नमः॥ ॐ गौरीतेजोभुवे नमः॥ ॐ स्वर्धुनीभवाय नमः॥ ॐ यज्ञकायाय नमः॥ ॐ महानादाय नमः॥ ॐ गिरिवर्ष्मणे नमः॥ ॐ शुभाननाय नमः॥ ॐ सर्वात्मने नमः॥ ॐ सर्वदेवात्मने नमः॥ ॐ ब्रह्ममूर्ध्ने नमः॥ ॐ ककुप्छ्रुतये नमः॥ ॐ ब्रह्माण्डकुम्भाय नमः॥ ॐ चिद्व्योमफालाय नमः॥ ॐ सत्यशिरोरुहाय नमः॥ ॐ जगज्जन्मलयोन्मेषनिमेषाय नमः॥ ॐ अग्न्यर्कसोमदृशेनमः॥ ॐ गिरीन्द्रैकरदाय नमः॥ ॐ धर्माय नमः॥ ॐ धर्मिष्ठाय नमः॥ ॐ सामबृंहिताय नमः॥ ॐ ग्रहर्क्षदशनाय नमः॥ ॐ वाणीजिह्वाय नमः॥ ॐ वासवनासिकाय नमः॥ ॐ कुलाचलांसाय नमः॥ ॐ सोमार्कघण्टाय नमः॥ ॐ रुद्रशिरोधराय नमः॥ ॐ नदीनदभुजाय नमः॥ ॐ सर्पाङ्गुळिकाय नमः॥ ॐ तारकानखाय नमः॥ ॐ भ्रूमध्यसंस्थतकराय नमः॥ ॐ ब्रह्मविद्यामदोत्कटाय नमः॥ ॐ व्योमनाभाय नमः॥ ॐ श्रीहृदयाय नमः॥ ॐ मेरुपृष्ठाय नमः॥ ॐ अर्णवोदराय नमः॥ ॐ कुक्षिस्थयक्षगन्धर्वरक्षः किन्नरमानुषाय नमः॥
इन मंत्रों का जाप करने के पश्चात भगवान से पूजा में जाने-अनजाने हुए अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे और मन ही मन उनसे अपनी इच्छा पूरी करने की प्रार्थना करें। जब तक आपका कार्य पूर्ण न हो जाए तब तक हर बुधवार को इसी तरह पूजा करें, शीघ्र ही आपके सब मनोरथ पूरे होंगे।
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