सीरिया। इस्लामिक स्टेट के चंगुल से छूट कर आई यजीदी लड़कियों और महिलाओं को उनके साथ हुए बलात्कार और प्रताडऩा को साबित करने के लिए इराक की अदालतों में दर्दनाक वर्जिनिटी टेस्ट देना पड़ रहा है। इस बात का खुलासा मानवाधिकार आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है।
इस रिपोर्ट को शोधकर्ता ने मानवाधिकार संगठनों की वेबसाइट पर पोस्ट किया गया है। जिसमें उन्होंने यजीदी महिलाओं के साथ हो रहे दुव्यहार की बात लिखी है। उनमें से एक लड़की जिसका नाम लूना बताया जा रहा है। लड़की ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि उसे इस्लामिक स्टेट द्वारा अहरण कर लिया गया था। जिसके बाद उसे चार बार बेचा गया और जिस मालिक ने भी उसे खरीदा सभी ने उसके साथ बलात्कार किया। उसने बताया कि किस तरह मेरे साथ की अन्य लड़कियों के साथ जबरन बलात्कार किया जाता और उन्हें आईएसआईएस के आतंकियों के साथ शादी करने के लिए मजबूर किया जाता।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बच कर आई लड़कियों को इस वक्त मनौवैज्ञानिक मदद और देखभाल की जरूरत है। उनकी सुरक्षा और देखभाल की जगह उन्हें अपने ऊपर हुए अत्याचारों को साबित करने के लिए दर्दनाक वर्जिनिटी टेस्ट से गुजरना पड़ रहा है। एचआरडब्ल्यू के सफल अभ्यास के साथ कुर्द अधिकारियों द्वारा आश्वासन प्राप्त हुआ है कि आगे इस तरह का टेस्ट नहीं किया जाएगा।
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