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अमरीका में भाई की मौत,भाभी कोमा में,शव को भारत लाने के पैसे नहीं

स्वप्निल
का कहना है कि शव को भारत लाने पर 20 हजार यूएस डॉलर यानि 13 लाख रुपए
खर्च होंगे। मेरे पास इतने पैसे नहीं है

Jul 18, 2016 / 04:35 pm

Abhishek Tiwari

Indian MAn To Buried In America

Indian MAn To Buried In America

मुंबई। कल्याण के रहने वाले चंदन गवई की न्यूयॉर्क में एक सड़क हादसे में मौत हो गई। हादसे में उसके माता पिता की भी मौत हो गई। पत्नी मनीषा कोमा में है। अब चंदन के भाईयों के पास इतने पैसे नहीं है कि वे अपने माता पिता और भाई के शव अंतिम संस्कार के लिए भारत ला सकें। ऐसी स्थिति में उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मदद की गुहार लगाई है। सुषमा स्वराज ने इन्हें मदद का भरोसा दिलाया है।

सुषमा स्वराज ने लिखा, न्यूयॉर्क में भारत की कॉन्सुल जनरल मेरे संपर्क में है। वह परिवार को मदद दिला रही है। माता पिता का अंतिम संस्कार वहां किया जा सकता है लेकिन अमरीका कानून चंदन के अंतिम संस्कार की इजाजत तब नहीं देगा जब तक उनकी पत्नी कोमा में है और वे इस पर अपनी रजामंदी नहीं दे देती। मैं निजी तौर पर मामले को मॉनिटर कर रही हूं और मेरे पास इसकी पूरी जानकारी है।

38 साल के चंदन गवई न्यूयॉर्क में एक आईटी कंपनी में काम करते थे। 4 जुलाई को वह अपनी पत्नी बेटे और माता पिता के साथ गणतंत्र दिवस पर बीच पर आतिशबाजी देखने गए थे। घर लौटते वक्त इनकी कार का एक्सीडेंट हो गया। हादसे में चंदन,इनके पिता कमलनयन और मां अर्चना की मौत हो गई। पत्नी मनीषा के सिर में चोट लगी। वह कोमा में चली गई। वहीं 11 साल के पुत्र इबहान के दोनों हाथों में फ्रैक्चर हो गया।

तेज गति से आ रहे एक पिकअप ट्रक ने चंदन की कार को टक्कर मार दी थी। इससे दोनों वाहनों में आग लग गई। ट्रक ड्राइवर की भी हादसे में मौत हो गई। बाद में पता चला कि ड्राइवर ने शराब पी रखी थी। हादसे के बाद चंदन के दोनों भाई स्वप्निल और आनंद न्यूयॉर्क पहुंचे। दोनों ने चंदन और माता पिता के शव लेने के लिए वहां की अथॉरिटीज के पास कई चक्कर लगाए लेकिन पूरे पैसे नहीं होने के चलते वे अब तक शव भारत नहीं ला
 सके हैं।

स्वप्निल का कहना है कि शव को भारत लाने पर 20 हजार यूएस डॉलर यानि 13 लाख रुपए खर्च होंगे। मेरे पास इतने पैसे नहीं है। एक शव का न्यूयॉर्क में अंतिम संस्कार करने पर 6 हजार यूएस डॉलर यानि करीब 4 लाख रुपए खर्च होंगे। स्वप्निल के मुताबिक वहां की अथॉरिटीज का कहना है कि वे भाई के शव के लिए क्लेम नहीं कर सकते। भाई के शव के लिए सिर्फ उनकी पत्नी ही क्लेम कर सकती है। दिक्कत यह है कि हम भाई के शव को छोड़कर माता पिता की बॉडी के लिए क्लेम कैसे करें?

बड़े भाई आनंद ने मदद के लिए भारतीय दूतावास के कई चक्कर लगाए। उनका कहना है कि भारतीय दूतावास ने हमारी कोई मदद नहीं की। सच तो यह है कि जब वहां मदद मांगने गए तो हमारी बेइज्जती की गई। हमें नहीं मालूम कि अब हम कहां जाएं और किससे मदद मांगें। स्वप्निल फाइनेंशियल कंसल्टेंट हैं और कल्याण मेें छोटा मोटा बिजनेस करते हैं। आनंद नीदरलैण्ड में रहते हैं और वैज्ञानिक हैं।

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