script‘भारत अब भी 1962 के युद्ध की मानसिकता में अटका हुआ है’ | India still stuck in shadow of 1962 war, says Chinese state media | Patrika News
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‘भारत अब भी 1962 के युद्ध की मानसिकता में अटका हुआ है’

चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में अपील की गई है कि बीजिंग के रूख का अधिक तथ्यपरक मूल्यांकन किया जाए

Jul 04, 2016 / 01:05 pm

Rakesh Mishra

india chia flag

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बीजिंग। एनएसजी सदस्यता में रोड़ा डालने के भारत के आरोप पर चीन ने पलटवार किया है। चीन का कहना है कि भारत अभी भी 1962 के युद्ध की मानसिकता में अटका हुआ है। चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में अपील की गई है कि बीजिंग के रूख का अधिक तथ्यपरक मूल्यांकन किया जाए। भारत को चीजों की गलत व्याख्या और चीन को बदनाम करने की बजाय इस मामले में अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने के लिए और कोशिश करनी चाहिए।

चीनी मीडिया के मुताबिक ऐसा प्रतीत हो रहा है कि एनएसजी में भारत के प्रवेश पाने में असफल रहने के चलते भारतीय जनता के लिए सियोल में हुई बैठक के परिणामों को स्वीकार करना मुश्किल हो रहा है। इस लेख का शीर्षक है: भारत को सहयोग के लिए पुराने रूख को त्याग देना चाहिए। लेख में कहा गया है कि कई भारतीय मीडिया संस्थान केवल चीन पर दोष मढ़ रहे हैं। वे आरोप लगा रहे हैं कि इस विरोध के पीछे चीन के भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक मकसद है।

कुछ लोग चीन और चीनी उत्पादों के खिलाफ विरोध करने के लिए सड़कों पर भी उतर आए हैं। कुछ समीक्षकों का कहना है कि इस घटना से भारत और चीन के संबंध ठंडे पड़ जाएंगे। संपादकीय में लिखा गया है कि भारत को उन धारणाओं से बाहर निकलना चाहिए जिसमें कहा जाता है कि चीन उसकी प्रगति को बर्दाश्त नहीं कर पाता है। नई दिल्ली बीजिंग को लेकर गलतफहमी में है। इसी वजह से दोनों देशों के बीच मतभेद हैं। दोनों देशों को आपसी सहयोग बढ़ाना चाहिए।

चीन भारत को राजनीतिक संदर्भ में नहीं देखता है बल्कि वह इससे ज्यादा आर्थिक संदर्भ में देखता है। दोनों देशों को मिलकर आर्थिक मोर्चे पर काम करना चाहिए। चीन और भारत मिलकर एशियाई देशों के बीच नई अंतरराष्ट्रीय लकीर खींच सकते हैं। भारत की तेज प्रगति को चीन से मदद मिल सकती है।

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