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वाराणसी

बनारस में बने इंजन से दौड़ेगी बर्मा में रेल

-बीजिंग को पीछे छोड़ बनारस ने मारी बाजी

वाराणसीMar 11, 2016 / 02:31 pm

Awesh Tiwary

dlw will import rail engine to myanmmar

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-आवेश तिवारी
वाराणसी- बनारस की बदौलत बर्मा में रेल यातायात को बेहतर बनाने की कोशिशें की जायेगी। बनारस के डीएलडब्ल्यू में निर्मित 18 रेल इंजन जल्द ही बर्मा भेजे जायेंगे,1350 हार्स पावर के इन इंजनों का इस्तेमाल रेल परिवहन में होगा7महत्वपूर्ण है कि बर्मा रेलवे जिसे अब म्यामा रेलवे भी कहते हैं एक वक्त डेथ रेलवे के नाम से दुनिया भर में मशहूर था। आज भी बर्मा में 5403 किमी लम्बा रेल नेटवर्क है,लेकिन उचित रख-रखाव के अभाव और लोकोमोटिव एवं ट्रैक की खराब स्थिति की वजह से वहां रेलगाड़ियों का समुचित संचालन नहीं हो पा रहा है।गौरतलब है कि बर्मा ने अब तक सर्वाधिक रेल इंजन चीन से आयातित किये हैं।लेकिन चीनी कंपनियों द्वारा बनाये गए इंजन तकनीकी गुणवत्ता के मामले में डीलडब्ल्यू से काफी पीछे हैं ,जिसकी वजह से डीएलडब्ल्यू को यह मौका दिया गया है।
डेथ रेलवे का खौफनाक इतिहास
डीएलडब्ल्यू के इंजन बर्मा में जिस ट्रैक पर दौड़ेंगे उसमे 415 किलोमीटर लम्बे उस ट्रैक का भी एक बड़ा हिस्सा शामिल है जिसे द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने बनाया था।इस रेल लाइन के निर्माण में तक़रीबन 2.5 लाख बंधुआ मजदूरों को लगाया गया था जिसमे 60 हजार प्रिजनर आफ वार थे,बताया जाता है कि इस रेल नेटवर्क की स्थापना में ही तक़रीबन 90 हजार मजदूरों की मौत हो गई।इस रेल नेटवर्क के निर्माण में लगे 9अधिकारियों पर विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद युद्ध अपराध में मुकदमा भी चलाया गया।
डीएलडब्ल्यू की बादशाहत की कहानी
डीएलडब्ल्यू ने अपने अस्तित्व में आने के बाद से लेकर अब तक 7065 इंजन बनाए हैं तथा 137 इंजन 11 देशों को निर्यात किए हैं। डीएलडब्यू तक़ दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्वी एशिया में अपनी तरह का एकमात्र इंजन उत्पाशदक है। अब तक डीएलडब्यू बाद ने 7000 से ज्यादा इंजन तैयार किए हैं।यह विश्व का सबसे बड़ा कारखाना है।डीएलडब्ल्यू की उत्पादकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2012-13 में डीएलडब्यू का ने 294 इंजन तैयार किए,जबकि वर्ष 2002-2003 में केवल 112 इंजनों का उत्पारदन हुआ था। पिछले एक दशक में इसकी उत्पाबदकता में तीन गुना वृद्धि हुई है।महत्वपूर्ण है कि डीएलडब्ल्यू में 5500 मेगावाट क्षमता के इंजन का प्रारूप बनाने में सफलता हासिल की है जबकि विश्वड में किसी भी इंजन उत्पादक कंपनी ने बाईस टन एक्साल लोड पर 4000 एच पी से अधिक क्षमता का इंजन बनाने का प्रयास नहीं किया है।डीलडब्ल्यू में बने इंजन शुरू से ही सूडान,श्रीलंका, बांग्लादेश,तंजानिया समेत कई देशों को बेचे गए हैं।

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