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वाराणसी

UP Election-कांग्रेस ने भाजपा को डाला मुश्किल में, योगी की लाइन क्लीयर

मुश्किलों की काट में जुटी भाजपा को चाहिए ऐसा सवर्ण नेता जो ब्राह्मणों में भी पूजनीय हो, जानिये क्या चल रहा अंदरखाने…

वाराणसीJul 18, 2016 / 02:11 pm

Ajay Chaturvedi

Yogi Aditya Nath

Yogi Aditya Nath

वाराणसी. कांग्रेस ने देर से ही सही पर मुनासिब वक्त पर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को सीएम का कंडिडेट बन कर भाजपी की मुश्किलें खडी कर दी हैं। अब भाजपा इस उधेड़ बुन में लगी है कि ऐसा कौन सा सवर्ण नेता है जिसे सीएम कंडीडेट के रूप में उतारा जाए। नेता ऐसा हो भले ही ब्राह्मण न हो पर सवर्ण हो और ब्राह्मण वर्ग मे भी पूजित हो। ऐसे में एक ही नाम है और वह है गोरखपुर के सांसद योगी आदित्य नाथ। पार्टी का मानना है कि योगी एक ऐसा नाम है जिसे हर वर्ग का समर्थन हासिल है। फायर ब्रांड वक्ता हैं ही। संघ के भी प्रिय है। ऐसे में लगता यही है कि अब योगी का रास्ता क्लीयर हो जाएगा।

कांग्रेस ने बढ़ाई हैं मुश्किलें
देर से ही सही पर कांग्रेस ने खास रणनीति के तहत शीला दीक्षित को मैदान में उतार दिया है। वैसे यह तो पहले से ही कयास लगाया जा रहा था कि कांग्रेस को एक बड़े ब्राह्मण नेता की तलाश है जिसे वह सीएम कंडीडेट के रूप में प्रस्तुत कर सके। माना जा रहा है कि यह मैनेजमेंट गुरु पीके की चाल है। इसके लिए शीला दीक्षित, जतिन प्रसाद, डॉ राजेश मिश्र जैसों के नाम सामने आए। सूत्र बताते हैं कि शीला दीक्षित पहले सीएम कंडीडेट के रूप में आने को सिर्फ इसलिए तैयार नहीं थीं कि यूपी छोड़े बहुत दिन हो गया, लिहाजा वह चुनाव से बचना चाहती थीं। पर पीके, सोनिया और राहुल-प्रियंका के दबाव में उन्होंने हामी भर दी। उन्हें पहले कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाया गया और इसके साथ ही सीएम कंडीडेट डिक्लीयर हो गईं। फिर जिस तरह से रविवार को अरसे बाद लखनऊ में शीला और राजबब्बर के नेतृत्व में कांग्रेस जमात सड़क पर उतरी उसने भाजपा नेतृत्व के पेशानी पर बल ला दिया। ऐसे में अब बीजेपी खेमे में बेचैनी बढ़ गई है कि आखिर किसे लाएं।

योगी का नाम बहुत पहले से चल रहा है
यूं तो योगी आदित्य नाथ का नाम यूपी चुनाव की सरगर्मी शुरू होने के साथ से ही फ़िज़ा में तैरने लगा था। भाजपा सूत्रों की मानें तो तब केंद्रीय नेतृत्व इस नाम को पचा नहीं पा रहा था। लेकिन दबाव बढ़ता ही गया। बावजूद इसके पार्टी छोटे-छोटे दलों और दलितों, पिछडो तथा अति पिछड़ों के साथ मिल कर चुनाव में आने की तैयारी में जुटी थी। उसे यह लग रहा था कि लोकसभा चुनाव की तरह ही यूपी विधानसभा चुनाव भी पिछड़ों के दम पर निकाल लेंगे। फिर पीएम मोदी तो हैं ही। लेकिन बसपा के बाद कांग्रेस ने जिस तरह से सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अख्तियार किया, वह बीजेपी नेतृत्व के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कहने वाले तो यहां तक कहने लगे हैं कि फिलहाल इसकी काट बीजेपी को समझ नहीं आ रही। अव्वल तो उसे प्रदेश में ऐसा बड़ा ब्राह्मण नेता नहीं दिख रहा जिसे सीएम के लिए प्रोजेक्ट करे। ऐसे में इस बात पर भी मंथन चल रहा है कि किसी ऐसे सवर्ण को लाया जाए जिसे हर सवर्ण का समर्थन हासिल हो। ऐसे में फिर से योगी के नाम की हवा तेजी से बहने लगी है।

संघ ने भी लगा दी है मुहर
यूं तो योगी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहली पसंद शुरू से रहे हैं। माना जा रहा है कि योगी को महत्व न देने को लेकर संघ अपनी नाराजगी भी जता चुका है। अब तो पहले बनारस फिर कानपुर में हुई संघ की बैठक में योगी पर आम सहमति बन गई है ऐसा संघ सूत्रों का कहना है। कानपुर में हुई संघ की बैठक में सरसंघ चालक मोहन भागवत ने भी योगी को ही सीएम कंडीडेट के रूप में सबसे उपयुक्त माना है। ऐसे में अब इस चर्चा को और बल मिला है कि भाजपा नेतृत्व भी यूपी में सीएम कंडीडेट के रूप में योगी आदित्य नाथ को देर सबेर हरी झंडी दे ही देगा।

मोदी का गोरखपुर दौरा और गोरखपुर में एम्स की स्थापना ने योगी का कद बढाया
फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गोरखपुर दौरा और गोरखपुर में एम्स की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी होना भी इस बात का संकेत है कि पार्टी नेतृत्व की सोच में कुछ बदलाव आया है। योगी का कद बढ़ा है। साथ ही पीएम गोरखपुर की एम्स की मांग को पूरा कर इस बात का भी संकेत देंगे कि यूपी में वही अकेला चेहरा हैं जो गोरखपुर, पूर्वांचल और प्रदेश के विकास के लिए रोल मा़डल साबित हो सकते हैं।

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