वाराणसी. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की बड़ी राजनीतिक पार्टी अपना दल का रजिस्ट्रेशन निर्वाचन आयोग द्वारा अमान्य घोषित किये जाने के बाद प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है। पार्टी पर इस संकट के बाद जहां पार्टी में मायूसी का माहौल है वहीं विपक्षी दल इस फैसले का फायदा राजनीति फायदा उठाने का मौका नहीं गंवाना चाहते। चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद पत्रिका न्यूज से बातचीत के दौरान अपना दल के सांसद ने गहरी नाराजगी जताई और इस मामले पर सांसद हरिबंश सिंह ने कहा कि हम चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ कोर्ट जायेंगे।
बतादें कि आयोग ने जिलों को निर्देश भेजा है कि अब अपना दल मान्य नहीं रहा। लिहाजा उनके पदाधिकारियों को किसी तरह की छूट न दी जाए।
जिला निर्वाचन विभाग ने जारी किया आयोग का निर्देश
संयुक्त निर्वाचन अधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने निर्वाचन आयोग के निर्देश को सोमवार को जारी कर दिया। इस परिपत्र में निर्वाचन आयोग के हवाले से कहा गया है कि रजिस्ट्रीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल, अपना दल के पदाधिकारियों के मध्य आंतरिक विवाद के कारण आयोग के अभिलेख में आज के दिन उक्त दल का कोई अधिकृत पदाधिकारी नहीं है। आयोग के अभिलेख में इस दल के पदाधिकारियों की अनुमोदित सूची न होने के कारण किसी के द्वारा इस पार्टी का फार्म ए तथा फार्म बी देने पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।
सांसद हरिवंश सिंह ने कहा कार्यकर्ताओं की मेहनत बेकार नहीं जाने देंगे
पत्रिका से बातचीत में अपना दल के प्रतापगढ़ से सांसद हरिबंश सिंह ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं की पच्चीस साल की मेहनत और सोनेलाल जी के सपने को बेकार नहीं जाने देंगे। इस फैसले के खिलाफ हम कोर्ट जायेंगे और फिर से पार्टी का वजूद वापस लाने के लिए किसी भी हद तक हम मेहनत करेंगे।
ऐसे बढ़ा विवाद पार्टी के लिए बना संकट
अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की एक सड़क हादसे में मौत के बाद दल को आगे बढ़ाया उनकी पत्नी कृष्णा पटेल ने। कृष्णा पटेल की पार्टी को पहली चुनावी सफलता 2012 के विधानसभा चुनाव में मिली जब उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल वाराणसी के रोहनिया विधानसभा की विधायक बनीं। उसके बाद अनुप्रिया 2014 की मोदी लहर भाजपा और अपना दल गठबंधन में मिर्जापुर सीट से सांसद बनीं और धीरे-धीरे यहीं से मां-बेटी के बीच बर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई। फिर क्या था पार्टी के टूटने की प्रक्रिया भी यहीं से शुरू हो गई। देखते-देखते मां-बेटी में ऐसी दूरियां बढ़ीं कि मामला भारत निर्वाचन आयोग तक पहुंचा और आयोग को बड़ा फैसला लेना पड़ा जिसके चलते डॉ. सोने लाल पटेल द्वारा खड़ा किया गया बड़ा राजनीतिक घराने के वजूद पर संकट आ गया। हालांकि अभी कृष्णा पटेल ने हिम्मत नहीं हारी है और वह अंतिम दम तक पति की राजनीतिक विरासत को न केवल जिंदा रखने बल्कि उसे बढ़ाने में जुटी रहेंगी। हालांकि पार्टी के सांसद हरिबंश सिंह ने भी पार्टी को पूरी मजबूती से खड़ा करने के लिए कोर्ट जाने की बात कर रहे है।
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