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वाराणसी

जानिये कैसे मां-बेटी का झगड़ा UP की इस बड़ी राजनैतिक पार्टी को ले डूबा

अनुप्रिया पटेल के केन्द्र में मंत्री बनते ही बेकाबू हो गई थी मां-बेटी की लड़ाई।

वाराणसीDec 12, 2016 / 09:45 pm

रफतउद्दीन फरीद

Anupriya Patel, Krishna Patel and Pallavi Patel

Anupriya Patel, Krishna Patel and Pallavi Patel

वाराणसी. निर्वाचन आयोग ने अपना दल को निशस्त्र कर दिया है। पार्टी का चुनाव निशान अनुप्रिया पटेल गुट की ओर से रजिस्टर्ड अपना दल सोनेलाल को आवंटित करने के साथ ही सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी कर दिया है कि वह अपन दल के नाम पर कोई भी फार्म ए या बी न स्वीकार करें। कुल मिलाकर अपना दल की विरासत हथियाने की जंग में वर्तमान समय में केन्द्रीय राज्यमन्त्री अनुप्रिया पटेल मां कृष्णा पटेल और बहन पल्लवी पटेल से आगे निकल चुकी हैं। अपना दल में हुए झगड़े के लिये दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप मढ़ते हैं। अनु्प्रिया पटेल ने प्रदेश कार्यालय में अपना ताला जड़ दिया तो उन्हें मां कृष्णा पटेल ने पार्टी से ही निकाल दिया। इसके बाद शुरू हुई विरासत की जंग अब एक खतरनाक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है, जिसमें अनुप्रिया काफी आगे दिख रही हैं।



28 अक्टूबर 2014 को अपना दल का झगड़ा खुलकर सामने आ गया। अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने अपनी बेटी और पार्टी महासचिव अनुप्रिया पटेल को उनके पद से हटा दिया था। अनुप्रिया पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाकर यह कार्यवाही की गई थी। अनुप्रिया पटेल अपनी बड़ी बहन पल्लवी पटेल को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए जाने का विरोध कर रही थी। अनुप्रिया के गुट ने उनके मनोनयन को गलत ठहरा दिया था।



अनुप्रिया के मंत्री बनते ही तल्खियां हुई थीं तेज
पांच जुलाई 2016 को अपना दल की अनुप्रिया पटेल मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार में राज्य मंत्री बनाई गईं थी तब उनकी ही पार्टी के दूसरे सांसद कुंवर हरिवंश सिंह ने उन पर राजनैतिक हमला किया था। प्रतापगढ़ सांसद ने दावा किया था कि बीजेपी ने इस बारे में उनकी पार्टी से राय नहीं ली। यही नहीं, हरिवंश सिंह ने साफ कहा था कि अपना दल ने अनुप्रिया पटेल को एक साल पहले पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। मिर्जापुर से अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल के शपथ लेते ही पार्टी में विवाद शुरू हो गया था। पार्टी के प्रतापगढ़ सांसद कुंवर हरिवंश राय बच्चन ने कहा था कि यह पीठ में छुरा घोपने की कार्रवाई है। इसके लिेये उन्होंने बीजेपी को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि इस बारे में पार्टी अध्यक्ष कृष्णा पटेल को कोई सूचना तक नहीं दी गई।




वह यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि बीजेपी कैसे अपना दल के नाम पर अनुप्रिया पटेल को मंत्री बना सकती है। जबकि अनुप्रिया पटेल को एक साल पहले ही पार्टी से निकाल दिया गया। उन्होंने मीडिया को इस आशय की चिट्ठी भी दिखाईद्य लाकसभा अध्यक्ष से लेकर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और चुनाव आयोग तक को यह चिट्ठी लिखी गई थी। उधर केंद्र सरकार में राज्य मंत्री बनने के बाद अनुप्रिया पटेल ने मां कृष्णा पटेल के गुट की ओर से लगे आरोपों को सिरे से नकार दिया। उन्होंने प्रतापगढ़ सांसद कुंवर हरिवंश सिंह प भी आरोप लगाए थे। कहा था कि महज दो साल पहले वह पार्टी में शामिल हुए और अब उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षाएं बढ़ गई हैं।



शिवपाल यादव से मिलीं अनुप्रिया पटेल
16 जुलाई 2016 को अपना दल के दूसरे गुट की प्रमुख कृष्णा पटेल समाजवादी पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव से मुलाकात की थी। केन्द्र में अनुप्रिया पटेल मंत्री बनने के बाद कृष्णा पटेल की यह मुलाकात अहम मानी जा रही थी। दरअसल अनुप्रिया के मंत्री बनते ही अपना दल का घर का झगड़ा उस हाल में पहुंच गया, जहां से दोनों पक्षों में सुलह के सारे दरवाजे बंद हो गए। अनुप्रिया पटेल पूरी तरह से भाजपा के साथ हो चुकी हैं तो कृष्णा पटेल गुट दूसरा रास्ता तलाश रहा था। इसी सिलसिले में उन्होंने समाजवादी पार्टी के शिवपाल यादव से मुलाकात की थी। सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक उस समय तालमेल और विलय दोनों पर बात चल रही थी। पर अब जब अपना दल का अस्तित्व खत्म हो गया है तो क्या समाजवादी पार्टी एक सांसद के साथ कृष्णा पटेल गुट को अपनाएगी। यह अब सपा के ऊपर निर्भर है।




नितीश कुमार के साथ से भी हुई थी मुलाकात
बीजेपी ने जब अनुप्रिया पटेल का कद बढ़ाया तो इससे कृष्णा पटेल गुट तिलमिला उठा। तत्काल प्रतापगढ़ क सांसद आर कृष्णा गुट के बड़े नेता कुंवर हरिवंश सिंह सामने आए और इसे बीजेपी की मनमानी बता दिया। इसके बाद मां और बहन पल्लवी पटेल ने भी बीजेपी पर हमला बोला कि जब अनुप्रिया पटेल को अपना दल से निकाल दिया गया है तो उन्हें मंत्री क्यों बनाया गया। उधर इन सबके बीच अनुप्रिया का बढ़ता कद देखकर राजनीतिक विरासत बचाने के लिेये दूसरा गुट केवल शिवपाल सिंह यादव से ही नहीं मिला बल्कि उसने बिहार के मुख्यमन्त्री नितीश कुमार और उनकी पार्टी के नेताओं से भी मुलाकात की। इसकी पुष्टि खुद पल्लवी पटेल ने किया था। उन्होंने गठबंधन होने की संभावना भी जतायी थी।

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