scriptनीलाम हो चुकी गाड़ी को तीन साल से तलाश रहा रिटायर प्रोफेसर  | Vikram University - retired professor for pension Irritating to three years | Patrika News
उज्जैन

नीलाम हो चुकी गाड़ी को तीन साल से तलाश रहा रिटायर प्रोफेसर 

तीन साल से पेंशन के लिए भटक रहा प्रोफेसर, गुटबाजी से शिक्षकों की गरिमा गिरी,  सेवानिवृत्त प्रोफेसर को परेशाान करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने के आरोप लगे

उज्जैनOct 23, 2016 / 07:13 pm

नागडा डेस्क

Vikram University

Vikram University

उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय प्रशासन 2007 में बिक चुकी गाड़ी का हिसाब सेवानिवृत्त प्रोफेसर से मांग रहा है। तीन साल से यह विवाद चल रहा है और प्रोफेसर को सेवानिृत्त होने के बाद विभागीय नोड्यूज नहीं मिला है। नोड्यूज के अभाव में विवि प्रशासन से होने वाला पीएफ व अन्य भुगतान का पैसा अटका है। साथ ही पेंशन भी शुरू नहीं हो पाई है। परेशान प्रोफेसर कुलसचिव, कुलपति से लेकर हर अधिकारी को अपनी समस्या सुना चुका है, लेकिन किसी ने भी मदद के लिए प्रयास नहीं किया, लेकिन अब जब मामला उलझा और नोड्यूज नहीं मिलने के कारण सामने आए तो शिक्षक पद की गरिमा ही सवालों के घेरे में आ गई। इसमें सेवानिवृत्त प्रोफेसर को परेशाान करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने के आरोप लगे।

क्या है मामला
विवि के भौमिकी अध्ययनशाला के प्रमुख व प्रो. पमेन्द्र देव तीन साल पहले सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने प्रो. केएन सिंह को चार्ज दिया, लेकिन जब वह विभागीय नोड्यूज के लिए पहुंचे तो केएन सिंह ने उन्हें विभाग की एक जीप व एक सैकड़ो से अधिक किताब गुम होने की बात कही। तीन साल से मामला अटका है। यह मामला सभी अधिकारियों के संज्ञान में है।

वाहनों का अधिकारी कुलसचिव
विवि में किसी भी वाहन का अधिकारी कुलसचिव होता है। एेसे में प्रो. से एनओसी मांगना पूरी तरह से गलत है। साथ ही अगर तीन साल से वाहन गायब है तो विवि प्रशासन ने कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की। वाहन गुम होने की सूचना पुलिस को क्यों नहीं दी। मामले पर कुलसचिव सुभाषचंद्र आर्य का कहना है कि प्रो. के मामले का निराकरण उन्होंने कर दिया है। जल्द ही अन्य प्रक्रिया भी पूरी होगी।

आरटीआई का कानून भी काम नहीं आया
विवि की सेंट्रल लाइब्रेरी व विभागीय लाइब्रेरी में कर्मचारी सभी रिकॉर्ड की जानकारी रखता है। इसमें कौन सी किताब किसके नाम पर दर्ज है। अब अगर 100 से अधिक (करीब 5 लाख कीमत) गायब है तो विवि प्रशासन को लाइब्रेरी में तैनात कर्मचारी पर कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही अगर किताब प्रो. देव के नाम पर दर्ज है तो उसकी जानकारी दी जाए। प्रो. देव ने आरटीआई में उनके नाम पर दर्ज किताब की जानकारी मांगी तो एक माह तक नहीं दी। इस कुलपति से अपील की तो उन्होंने जबाव देने की जगह उनके नाम की शिकायते थमा दी। अब प्रो. देव राज्य सूचना आयोग जाने की तैयारी कर रहे हैं। दरअसल, यह पूरा मामला विभाग के नए प्रमुख प्रो. केएन सिंह से जुड़ा है। केएन सिंह एक उच्चाधिकारी के करीबी हैं। उन्होंने पद पर बैठते ही उन्हें प्रमुख जिम्मेदारी दी थी। 

Hindi News / Ujjain / नीलाम हो चुकी गाड़ी को तीन साल से तलाश रहा रिटायर प्रोफेसर 

ट्रेंडिंग वीडियो