बेहद खूबसूरत और पवित्र फूल माना जाने वाला ब्रह्म कमल वर्ष में एक बार खिलता है। यह जिसके घर में खिल जाए उसे भाग्यशाली और ब्रह्माजी का आशीर्वाद माना जाता है।
राजेश जारवाल@उज्जैन. बेहद खूबसूरत और पवित्र फूल माना जाने वाला ब्रह्म कमल वर्ष में एक बार खिलता है। यह जिसके घर में खिल जाए उसे भाग्यशाली और ब्रह्माजी का आशीर्वाद माना जाता है। यह सौभाग्य मिला अलखधाम निवासी मंजीभाई पटेल को वह भी गुरु पूर्णिमा की पूर्व रात्रि पर।
यह एक अद्भुत अनुभव था
मंजीभाई ने अपने परिवार, रिश्तेदारों के साथ इस दुर्लभ फूल को पल-पल बढ़ते और खिलते हुए देखा। यह एक अद्भुत अनुभव था। सोमवार रात 9 बजे फूल की कली खिलना शुरू हुई जो रात 12 बजे तक ब्रह्म कमल बन गई। दूसरे दिन लोगों का इसे देखने के लिए तांता लगा रहा। फूल की खास बात यह है कि यह पौधा सूर्योदय की बजाय और सूर्यास्त के बाद रात में ही खिलता है और सुबह मुर्झा भी जाता है।
उपहार स्वरूप दिया था पौधा
मंजीभाई का नीलगंगा पर लकड़ी का व्यवसाय है। फूल के बारे में उन्होंने बताते हुए कहा उन्हें ब्रह्म कमल का पौधा उनके भाई रत्तीलालभाई ने उपहार स्वरूप दिया था। वैसे यह फूल एक साल में खिलता है या फिर कई वर्ष भी लग जाते हैं लेकिन हमारे यहां यह करीब दो साल बाद खिला। वह भी गुरु पूर्णिमा के अवसर पर, इसे विशेष संयोग भी कह सकते हैं। हमने इसे साक्षात खिलते हुए देखा। परिवार, रिश्तेदार और अन्य लोगों का इसे देखने के लिए तांता लगा रहा। रात को रात 9 बजे इस फूल कली खिली और धीरे-धीरे तीन घंटे बाद यह पूरी तरह फूल बन गया। हमने इसके खिलने की अनोखी घटना का हर पल का फोटो खींचा और वीडियो भी बनाई। वैसे यह फूल मध्यप्रदेश में कम ही खिलता है यह पहाड़ी इलाकों में ज्यादा पाया जाता है।
औषधीय फूल, कैंसर की दवा बनाई जाती है
यह एक औषधीय फूल है। इसे सूखाकर कैंसर रोग के लिए दवा बनाई जाती है। इससे निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिटती है। पुरानी खांसी भी काबू में हो जाती है। ब्रह्म कमल जब खिलता है तो इसमें ब्रह्म देव तथा त्रिशूल की आकृति बन कर उभर आती है। ब्रह्म कमल हिमालय में 17 हजार फीट की ऊंचाइयों पर मिलता है। जिसके घर में यह फूल खिलता है उसे भाग्यशाली माना जाता है। सुख-समृद्धि से भर देता है। ये फूल न तो बेचा जाता है और न खरीदा जाता है। इसे सिर्फ भगवान को चढ़ाया जाता है या उपहार स्वरूप दिया जाता है। गंगोत्री, मुनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ में इसे सीजन में खिला हुआ देखा जा सकता है। वनस्पति विज्ञानियों ने ब्रह्म कमल की 31 प्रजातियां दर्ज की हैं। हिमालय क्षेत्र में चारागाह इन्हें बोरों में भर कर लाते हैं और मंदिरों में देते हैं। प्रसाद के रूप में ये फूल वितरित किए जाते हैं। ब्रह्म कमल को उत्तराखंड में ब्रह्म कमल, हिमाचल में दूधाफूल, कश्मीर में गलगल और उत्तर-पश्चिमी भारत में बरगनडटोगेस नाम से इसे जाना जाता है। उत्तरी बर्मा और चीन में भी पाया जाता है। यह फूल जुलाई से सितंबर के बीच खिलता है। अक्टूबर के समय में इसमें फल बनने लगते हैं। बह्म कमल का वानस्पतिक नाम ससोरिया ओबिलाटा है।
धार्मिक मान्यता
मान्यता है कि भगवान विष्णु की नाभि से निकला हुआ कमल ब्रह्म कमल कहलाता है, जिस पर ब्रह्माजी विराजते हैं। ब्रह्म कमल मां नन्दा का प्रिय पुष्प है, इसलिए इसे नन्दाष्टमी के समय में तोड़ा जाता है और इसके तोडऩे के भी सख्त नियम हैं।