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@KUMBH: हठयोगियों को देनी होती है परीक्षा, गलती पर मिलती है सजा

थानापति की निगरानी में होती तपस्या, पूरी होने पर मिलता प्रमाण-पत्र, वास्तविक जिंदगी में ऐसा तो नहीं होता, लेकिन वरदान के रूप में संतों को अखाड़े की ओर से एक प्रमाण-पत्र दिया जाता है। 

उज्जैनApr 30, 2016 / 12:08 pm

Lalit Saxena

Htyogion also have to test, get punished at fault

Htyogion also have to test, get punished at fault

प्रतीक खेड़कर@उज्जैन. फिल्मों में आपने देखा होगा कि साधु-संतों की तपस्या पूरी होने पर भगवान प्रकट होकर वरदान देते हैं। वास्तविक जिंदगी में ऐसा तो नहीं होता, लेकिन वरदान के रूप में संतों को अखाड़े की ओर से एक प्रमाण-पत्र जरूर दिया जाता है, जो उनकी तपस्या पूर्ण होने का सबूत होता है। 

यह प्रमाण-पत्र उन्हें कोई सांसारिक ओहदा तो नहीं दिलाता, लेकिन संतों के बीच उनकी साधना को प्रतिष्ठा जरूर मिल जाती है। कुछ पदवियां भी हासिल हो सकती हैं, हालांकि प्रमाण-पत्र पाना इतना आसान भी नहीं। उनकी तपस्या पर अखाड़े के थानापति की नजर रहती है। कोई भी तपस्या कम से कम 12 वर्ष की होती है। जरा चूक होने पर थानापति कड़ी सजा देने से भी नहीं चूकते। सिंहस्थ में आए कुछ हठयोगियों पर विशेष रिपोर्ट….

भोला गिरि : 46 साल से ऊंचा है एक हाथ
यह हैं आवाहन के उद्र्वबाहु भोला गिरि बापू, जिन्होंने 46 वर्षों से एक हाथ नीचे नहीं किया। गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग को लेकर वे पूरे समय एक हाथ ऊपर ही रखते हैं। गुजरात के शिववाड़ी आश्रम से आए बापू कहते हैं, अगर मोदी सरकार जल्द ही गाय माता को राष्ट्रीय पशु घोषित नहीं करेगी तो वे दूसरा हाथ भी ऊंचा रखने लगेंगे।

महाकाल गिरि : 10 सालों से खड़े हैं यह महाराज
आवाहन अखाड़े के महंत महाकाल गिरि एक पैर पर खड़े होकर तपस्या कर रहे हैं। महंत बताते हैं, गाय माता की रक्षा और जनमानस को गौ संरक्षण की सद्बुद्धि मिले, इसी कामना से तपस्या कर रहे हैं। 12 वर्ष पूर्ण होने पर गुजरात के शिववाड़ी में तपस्या को विराम दिया जाएगा। एक आयोजन में अखाड़े की ओर से प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।

जय गिरि : 11 साल से हैं खड़ेश्वरी
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के जगराम परिवार के श्रीमहंत सोहन गिरि के शिष्य महंत जय गिरि 11 सालों से खड़ेश्वरी तपस्या कर रहे हैं। लंबी जटाओं को खोल कर जय गिरि झूले पर ही सोते हैं और पूरे समय तपस्या में लीन रहते हैं। हरियाणा के किशनपुर में तपस्या को विराम दिया जाएगा। महंत के अनुसार, जनकल्याण के उद्देश्य से यह तपस्या की जा रही है। 

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